मेरी नानी
मेरी नानी बडी सयानी
पर मेरे आगे भरती पानी
सब उससे यूँ डरते हैं
जब उसके तेवर चढते हैं
जब मेरे पास वो आती है
भीगी बिल्ली बन जाती है
मै उसको खूब नचाता हूँ
घोडी बना पीठ पर चढ जाता हूँ
सारे घर मे घुमा घुमा कर
खूब आनन्द उठाता हूँ
वो हाय तौबा मचाती है
लेकिन जब थक जाती है
फिर गोदी मे बिठा कर
प्यार वो मुझ को करती है
दुनिया भर की अच्छी बातें
फिर वो मुझ से करती है
उसके गुस्से को समझो यार
उसके गुस्से मे भी है प्यार
मेरी नानी बडी सयानी
पर मेरे आगे भरती पानी
सब उससे यूँ डरते हैं
जब उसके तेवर चढते हैं
जब मेरे पास वो आती है
भीगी बिल्ली बन जाती है
मै उसको खूब नचाता हूँ
घोडी बना पीठ पर चढ जाता हूँ
सारे घर मे घुमा घुमा कर
खूब आनन्द उठाता हूँ
वो हाय तौबा मचाती है
लेकिन जब थक जाती है
फिर गोदी मे बिठा कर
प्यार वो मुझ को करती है
दुनिया भर की अच्छी बातें
फिर वो मुझ से करती है
उसके गुस्से को समझो यार
उसके गुस्से मे भी है प्यार
सुंदर बाल-मन की सुंदर बातें!
जवाब देंहटाएंऐसा लगता है -
यह कविता नानी ने
नाती का मन बनकर रची है!
बहुत सुन्दर!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता है बाल मन के एकदम माफिक।
जवाब देंहटाएंमजेदार कविता.... मेरी नानी भी ऐसी ही है....
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