ट्रिन ट्रिन करके
घण्टी बजाता
तीन पहियों से
चलता जाता
मैं हूं रिक्शा
मैं हूं रिक्शा ।
अम्मा बाबू
दादा दादी
मुन्ना मुन्नी
बड़की छुटकी
सबको मैं हूं
सैर कराता
मैं हूं रिक्शा
मैं हूं रिक्शा ।
पतली गलियां
चौड़ी सड़कें
सब पर मैं तो
चलता जाता
जहां न पहुंचे
मोटर गाड़ी
वहां भी मैं
सबको पहुंचाता ।
मैं हूं रिक्शा
मैं हूं रिक्शा ।
******
हेमन्त कुमार
घण्टी बजाता
तीन पहियों से
चलता जाता
मैं हूं रिक्शा
मैं हूं रिक्शा ।
अम्मा बाबू
दादा दादी
मुन्ना मुन्नी
बड़की छुटकी
सबको मैं हूं
सैर कराता
मैं हूं रिक्शा
मैं हूं रिक्शा ।
पतली गलियां
चौड़ी सड़कें
सब पर मैं तो
चलता जाता
जहां न पहुंचे
मोटर गाड़ी
वहां भी मैं
सबको पहुंचाता ।
मैं हूं रिक्शा
मैं हूं रिक्शा ।
******
हेमन्त कुमार
बाल-गीत के लिए बहुत बधाई, हेमन्त जी!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा बालगीत!
जवाब देंहटाएं--------------
चाँद, बादल और शाम
बधाई हेमंत जी..... सुन्दर बाल गीत है......लाजवाब अभिव्यक्ति है आपकी......रिक्शे की महिमा से अवगत कराती
जवाब देंहटाएंBahut Pyari kavita lagi...par main kabhi rikshaw par nahin baithi, aj hi papa se jid kar baithungin.
जवाब देंहटाएंपाखी के ब्लॉग पर इस बार देखें महाकालेश्वर, उज्जैन में पाखी !!
अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंमेरी नजर में:
मैं हूँ रिक्शा, मैं हूँ रिक्षा.
सबको देता हूँ मैं शिक्षा.
मेहनत करो न मांगो भिक्षा
मैं हूँ रिक्शा, मैं हूँ रिक्षा.