tag:blogger.com,1999:blog-3192951884572102074.post748198913729980174..comments2023-10-30T14:06:34.474+05:30Comments on नन्हा मन: पापा.. सण्डे याद रखनासीमा सचदेवhttp://www.blogger.com/profile/04082447894548336370noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-3192951884572102074.post-16868337040833845432010-02-18T19:25:05.426+05:302010-02-18T19:25:05.426+05:30सोमाद्रि जी की बाल कविता सुन्दर है!
बधाई हो रवि ज...सोमाद्रि जी की बाल कविता सुन्दर है!<br /><br /><b>बधाई हो रवि जी!<br />नन्हामन पर आपका स्वागत करता हूँ!<br />शुभागमन!</b>डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3192951884572102074.post-15625549564034881792010-02-17T22:04:55.731+05:302010-02-17T22:04:55.731+05:30सोमाद्रि जी,
मन को छू गई -
आपकी यह रचना!
इसे पढ...<b>सोमाद्रि जी, <br />मन को छू गई - <br />आपकी यह रचना! <br />इसे पढ़ने के बाद ऐसा लगा - <br />जैसे यह रचना आपने इस <a href="http://ravi-man.blogspot.com/2010/02/blog-post_13.html" rel="nofollow">नन्ही बिटिया</a> के <br />मन में बैठकर रची है!</b>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3192951884572102074.post-34780068839013213042010-02-17T19:03:44.197+05:302010-02-17T19:03:44.197+05:30भावुक करती रचना. बच्चे की मनोस्थिति को सुन्दर शब्द...भावुक करती रचना. बच्चे की मनोस्थिति को सुन्दर शब्द दिये हैं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3192951884572102074.post-83069973836273404632010-02-17T09:49:42.582+05:302010-02-17T09:49:42.582+05:30वास्तव में आज के बच्चे उम्र से ज्यादा बडे हो गए है...वास्तव में आज के बच्चे उम्र से ज्यादा बडे हो गए हैं और समझदार भी । आपकी कविता नें तो मुझे भावुक कर दिया । धन्यवाद ....सीमा सचदेवसीमा सचदेवhttps://www.blogger.com/profile/04082447894548336370noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3192951884572102074.post-11075473720926247632010-02-17T09:10:12.972+05:302010-02-17T09:10:12.972+05:30समद्री जी की इस कविता मे आज के बच्चे का दर्द साफ झ...समद्री जी की इस कविता मे आज के बच्चे का दर्द साफ झलक रहा है। सीमा जी आपका बच्चों के साहित्य के प्रति समर्पण वन्दनीय् है। मन करता है कि मै भी बच्चों के लिये कुछ लिखूँ मगर अभी लिख नही पा रही। इस के लिये खेद है। मगर कोशिश जरूर करूँगी। धन्यवाद और शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com