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14 जनवरी 2010

मकर संक्रान्ति

नमस्कार बच्चो ,
कल मैं आपको लेकर गई थी पंजाब जहां लोहडी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा था और हम सबने कल खूब लड्डु और रेवडियां भी खाए थे । अब बताओ भला आज कौन सा दिन है ....? बिलकुल सही आज है मकर संक्रान्ति , इसे माघ पूर्णिमा भी कहा जाता है । आज के दिन भी घरों में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं , मुख्य रूप से खिचडी । तो खिचडी हम बाद में खाएंगे पहले यह तो जान लें कि यह त्योहार मनाया क्यों जाता है । इसके साथ भी अनेक कथाएं जुडी हैं । जैसे .......
१) इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने उसके घर जाते हैं । शनि क्योंकि मकर राशि के स्वामी हैं तो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर इसे मकर संक्रान्ति कहा जाता है । इसे सूर्य वर्ष का प्रारम्भ माना जाता है ।
२) वसंत आगमन के साथ भी इस त्योहार का संबंध जोडा जाता है , सर्दी का मौसम खत्म होते ही वसंत रितु प्रारम्भ हो जाती है ।
३) इसे पतंगोत्सव भी कहा जाता है । इस दिन लोग खूब पतंगें भी उडाते हैं । पतंग उडाने के पीछे भी यही मान्यता है कि भगवान सूर्य के उत्तरायण होने पर पतंगें उडाकर उनका स्वागत किया जाता है । लोक कथा है कि भगवान श्री राम नें भी इस दिन पतंग उडाई थी और तभी से इस दिन पतंगें उडाने का प्रचलन है ।
४) इस दिन को महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह की मत्यु के साथ भी जोडा जाता है । कहते हैं कि भीष्म पितामह नें अपनी मत्यु के लिए यही दिन चुना था और यह भी माना जाता है कि जिनकी मत्यु इस दिन होती है उसे फ़िर कभी जन्म नहीं लेना पडता और वह मुक्त हो जाता है ।
५) एक और मान्यता है कि इस दिन भागीरथ गंगा जी को कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर तट तक लाए थे , इस लिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्त्व है । लाखों श्रद्धालु इस दिन पावन गंगा में स्नान करते हैं । लोग गंगा सागर जाकर स्नान करते हैं । इस दिन वहां श्राधालुओं की बहुत भीड होती है । तभी कहा जाता है कि -
अन्य तीर्थ बार-बार
गंगासागर एक बार
६) इसका एक भौगोलिक कारण भी है कि इस दिन के बाद दिन बडे और रातें छोटी होने लगती हैं यानि अंधेरे से प्रकाश की ओर अग्रसर होने का संकेत मिलता है । सभी प्राणियों मे नव-चेतना और नव-स्फ़ूर्ति का संचार होता है । इस लिए लोग अपने-अपने ढंग से पूजा- अर्चना करते हैं ।
७) एक पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु नें असुरों का सिर काट कर मंदार पर्वत के नीचे दबा दिया था और धरती से नकारात्मकता का विनाश किया था ।
८) इस दिन को सुहागिनो के साथ भी जोडा जाता है । माना जाता है कि इस दिन से दिन तिल-तिल कर (थोडा-थोडा ) बढना शुरु होते हैं तो महिलाएं भी अपने पति की लम्बी आयु के लिए हल्दी कुंकुम का टीका लगाती तथा तथा की मिठाई बांट्ती हैं ।
९) मान्यता यह भी है कि भगवान श्री कष्ण जी को पाने के लिए यशोदा जी नें भी इस दिन व्रत किया था ।
१०) इसको उत्तर-प्रदेश में दान का पर्व भी कहा जाता है ।हर वर्ष १४ जनवरी को माघ मेला प्रारम्भ होता है और शिवरात्रि तक लगभग एक माह तक चलता है । इसे खिचडी पर्व भी कहा जाता है ।
११) भारतीय पंचांग चंद्रमा की गति पर आधारित होते हैं किन्तु मकर-संक्रान्ति सूर्य की गति पर आधारिर होता है , इस लिए यह हर वर्ष १४ जनवरी को ही पडता है ।
आपको पता है बच्चो कि तमिलनाडु में यह चार दिन का त्योहार मनाया जाता है । पहले दिन (भोगी पोंगल )घर का कूडा-करकट जलाया जाता है ।दूसरे दिन (सूर्य- पोंगल)लक्षमी जी की पूजा की जाती है । तीसरे दिन (मट्ठू -पोंगल)पशु धन की पूजा की जाती है तथा चौथे दिन(कन्या पोंगल) आंगन में मिट्टी के बर्तन में खीर पकाई जाती है जिसे पोंगल कहा जाता है । सूर्य को नैवेद्य देने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण किया जाता है ।असम में मकर संक्रान्ति को माघ-बिहूया भोगाली-बिहू के नाम से मनाते हैं। राजस्थान में सुहागिन महिलाएं सुहाग की चौदह वस्तुओं का दान करती हैं ।
इस तर्ह यह त्योहार भारत के लगभग हर राज्य में अपने-अपने तरीके से मनाया जाता है ।
प्यारे बच्चो त्योहार कोई भी हो और चाहे उसे किसी भी ढंग से मनाया जाए लेकिन इसका एक मुख्य उद्देश्य होता है भाईचारा तथा प्रेम का संदेश देना । त्योहार हमारे नीरस जीवन में खुशियों का संचार तो करते ही हैं साथ में मिलजुल कर रहने और खुशियां बांट्ने का संदेश भी देते हैं तो चलिए हम भी इन खुशियों में शरीक हो जाएं और खुशी से त्योहार मनाएं ।
आप सब को मकर-संक्रान्ति की हार्दिक बधाई एवम शुभ-कामनाएं ।
आपकी
सीमा सचदेव

6 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी जानकारी!!

    मकर-संक्रान्ति की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएं ।

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  2. पोस्ट मेहनत से लिखी गयी है ,बधाई स्वीकार करें,
    कृपया दो सुधार कर लें -
    १-मकर संक्रान्ति ,को माघ पूर्णिमा नहीं कहा जाता है,माघ पूर्णिमा अभी ३० जनवरी को है.
    2- आपने लिखा है -""इसको उत्तर-प्रदेश में दान का पर्व भी कहा जाता है ""- ऐसा नहीं है , स्नान -दान का यह त्यौहार केवल उत्तर -प्रदेश तक सीमित नहीं है अपितु जहाँ भी हिन्दू धर्मं और संस्कृति जिन्दा है वहाँ भी दान -पुण्य होता है. पूरे महीनें का मेला तो प्रयाग में लगता है जहाँ श्रद्धालु लोग पूरे महीनें तक कल्प-वास करतें हैं .
    आभार सहित.

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  3. अच्छा आलेख....मकरसंक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाये....

    जवाब देंहटाएं
  4. इस विस्त्रात जानकारी का शुक्रिया ...... बहुत अच्छा लगा

    जवाब देंहटाएं
  5. सुरुचिपूर्ण तथा उपयोगी लेख. बधाई.

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