नन्हा मन

बच्चों, बहुत खोजबीन के बाद, अचपन जी ने नन्हा मन पर उड़न तश्तरी उतारने में सफलता पाई ! देखा ? तो.. सी-बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया दो !
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22 मार्च 2010

विश्व जल दिवस, कविता कहानी नारे

नमस्कार प्यारे बच्चो,
क्या आपको पता है कि हर वर्ष २२ मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है इसको मनाने का उद्देश्य यही है कि हम पानी की संभाल करें, यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है पानी हमारे जीवन की पहली प्राथमिकता है, इसके बिना तो जीवन संभव ही नहीं क्या आपने कभी सोचा कि धरती पर पानी जिस तरह से लगातार गंदा हो रहा है और कम हो रहा है , अगर यही क्रम लगातार चलता रहा तो क्या हमारा जीवन सुरक्षित रहेगा कितनी सारी आपदाओं का सामना करना पड़ेगा और सबकी जिन्दगी खतरे में पड़ जाएगी इस लिए हम सबको अभी से इन सब बातों को ध्यान में रख कर पानी की संभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी उठानी चाहिए यह दिवस तो २२ मार्च को मनाया जाता है और वैसे भी पानी की आवश्यकता तो हमें हर पल होती है फिर केवल एक दिन ही क्यों, हमें तो हर समय जीवनदायी पानी की संभाल के लिए उपाय करते रहना चाहिए, यह दिन तो बस हमें हमारी जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिए मनाए जाते हैं
तो चलो हम सब संकल्प लें कि हर समय अपनी जिम्मेदारी को निभाएंगे इस तरह हम बहुत सारे जीवों का जीवन बचाने में अपना सहयोग दे सकते हैं
मै आपको एक कहानी सुनाती हूँ, कि पानी को गंदा करने से या गंदा पानी पीने से क्या नुक्सान होता है.....

अमृत का घोल - कहानी

नदी किनारे था इक गाँव
घनी वहां पेडों की छाँव
मस्त-मस्त जब चले हवाएं
चारों ओर खुशबू फैलाएं
गाँव के बाहर बड़ा सा तल
भरा वहां वर्षा का जल
सब मिल उसकी करें संभाल
लगाया तल के ऊपर जाल
ताकि गंदा न हो तल
स्वच्छ रहे तालाब का जल
गर्मी की ऋतु जब भी आए
नदी में पानी कम हो जाए
तो फिर मिलकर सारे लोग
करें तल का पानी प्रयोग
गर्मी के दिन यूँ बिताएं
इतने में वर्षा ऋतु आए
छा जाए फिर से हरियाली
भर जाए फिर से तल खाली
पर इक था लड़का शैतान
जल मूल्य से था अनजान
इक दिन सूझी उसे शैतानी
क्यों न गंदा करे वो पानी
काटा उसने जाल को जाकर
फेंका कचरा जल में लाकर
खुले ताल पर पनपे मच्छर
बन गया बीमारी का घर
मरने लगे उसमें जल जन्तु
कोई भी यह न समझा परन्तु
क्योंकि तब जाड़े का मौसम
नदिया में पानी था हरदम
लड़के ने कर ली शैतानी
हो गया सारा गंदा पानी
कुछ दिन बाद वो शहर को आया
प्यास ने उसको खूब सताया
देखा एक गली में नल
पड़ा था पास खुला ही जल
वही जल पीकर प्यास बुझाई
पानी के साथ बीमारी आई
बुरा हो गया उसका हाल
पहुँच गया वो अस्पताल
मुश्किल से ही बची थी जान
आया फिर यह उसे ध्यान
गंदा किया है उसने तल
पिएंगे जो बाकी वह जल
होंगे वो भी सब बीमार
होगा यह तो अत्याचार
उलटे पाँव ही गाँव को आया
आकर उसने सबको बुलाया
सबके सामने गलती मानी
की थी जो उसने नादानी
सबने उसकी सुनी कहानी
बाहर निकाला तल का पानी
फिर से उसमे भरा स्वच्छ जल
अब न गंदा करेगा तल
बच तो गई थी सबकी जान
पर बच्चो यह रहे ध्यान
न करना ऐसी नादानी
कभी न गंदा करना पानी
पानी तो अमृत का घोल
हर बूँद इसकी अनमोल
पानी से मिलती जिंदगानी
व्यर्थ गंवाओ कभी न पानी
*******************************

मैं कुछ नारे भी दे रही हूँ। इन्हें याद करके अपने दोस्तों को सुनाना

1.जल बचे तो जीव बचें
पर्यावरण भी स्वच्छ बने

२.जल ही जीवन का आधार
कभी न समझो इसे बेकार

३.
जल से पलता है जीवन
जल तो है बहुमूल्य धन

४.
जल से ही मिलती जिंदगानी
व्यर्थ करो न कभी भी पानी

.स्वच्छ जल जो सब पिएंगे
तो लम्बी आयु जिएंगे
६.
पानी की करो देखभाल
साफ टैंक कुँआ या ताल
७.
पानी को न व्यर्थ गंवाओ
पानी बचा कर जीवन बचाओ
८.
आओ मिल अभियान चलाएं
जीवन हेतु जल बचाएं

९.
सदा ही ढँक कर रखो वारि
पनपेगी न कोई बीमारी
१०.जोड़ो जो वर्षा का जल
नम होगा भूमि का तल

04 मार्च 2010

23 फ़रवरी 2010

आज का विचार


पौद्धा एक लगाई कै , करि थोडा उपकार
ज्यों ज्यों बढता जाएगा , देगा वो उपहार
देगा वो उपहार , तुम्हें फल फूल औ छाया
शुद्ध वायु हरियाला तल , कुदरत की माया
कह सीमा मानो यह बात है सस्ता सौदा
बचेगा पर्यावरण , लगाएं जो इक इक पौद्धा

05 फ़रवरी 2010

नम भूमि दिवस

नमस्कार बच्चो
हर वर्ष २ फरवरी का दिन विश्व भर मे नम भूमि दिवस के रूप मे मनाया जाता है यह दिन पानी की महत्ता को दर्शाने और लोगो को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है हम अकसर देखते है कि कही अधिक वर्षा के कारण बाढ तो कही पानी की कमी के कारण सूखे जैसी आपदाओ का सामना करना पडता है , फल स्वरूप अनगिनत जीवो का जीवन नष्ट हो जाता है या फिर खतरे मे पड जाता है हमारा यह जीवन पानी पर निर्भर है लेकिन जब यह बाढ के रूप ले लेता है तो तबाही का कारण बनता है और जब इसकी कमी हो तो भी न जाने कितनी जिन्दगिओ को लील लेता है और उसका परिणाम हमे खूब जान-माल की हानि उठा कर भुगतना पडता है लेकिन अगर हम सब थोडी सी समझदारी अपनाएं और अपनी नैतिक जिम्मेदारी को समझे तो हम बाढ और सूखे जैसी कुदरती आपदाओ से तो बच ही सकते है , साथ ही साथ हम उन जीवो की भी सुरक्षा कर सकते है जो पानी पर निर्भर है और अपने दूषित होते पर्यवरण को भी बचा सकते है
पानी अनमोल है ,इसको हम बडे तालाबो और झीलो आदि मे इक्कठा कर सकते है यह तालाब और झीले वर्षा आदि का पानी अपने मे समा लेने मे सक्षम होते है जिससे बाढ जैसी आपदा से बचा जा सकता है तो दूसरी ओर जहां पानी की कमी पाई जाती है वहां पर भी इन बडे-बडे तालाबों मे पानी इक्कठा करके रखा जा सकता है और फिर उसका प्रयोग आसानी से किया जा सकता है इस तरह से सूखे जैसी समस्या से भी निपटा जा सकता है इतना ही नही इस पानी मे उन जीवो को भी जीवन मिलता है जो पानी मे पलते है और जंगलो मे जहां पर दूर-दूर तक पानी नही मिलता वहां पर ऐसे तालाब जंगली जीवो की प्यास बुझाने हेतु वरदान साबित होते है इतने के साथ हम भी तो किसी झील के किनरे अगर शान्त वातावरण मे जाकर बैठे तो एक अदभुत सी शीतलता का अनुभव करेन्गे बस जरूरत है और हमारी नैतिक जिम्मेदारी है इनकी संभाल और सुरक्षा , हम अपने थोडे से योगदान से कई जिन्दगियां बचा सकते हैं, अपनी धरा को सुन्दर और वातावरण को स्वच्छ बना सकते है
आओ मेरे साथ हम भी अनमोल पानी को बचाने मे अपना सहयोग दे , हमारा योगदान किसी को जिन्दगी दे सकता है , बस हमे संकल्प लेना है-पानी बचाने का हम छोटी-छोटी बातो का ध्यान रख कर भी पानी बचा सकते है , जैसे ः-
१, स्नान करते समय उतना ही पानी ले , जितना आवश्यक हो
२. ब्रश करते समय पानी किसी बर्तन मे ले , न कि नल खुला छोडे
३.अपने बगीचे मे पानी शाम के समय ही दे
४.किसी तालाब या जमा हुए पानी को गन्दा न करे
५. अपने घर के बागीचे मे जीवो मे एक छोटा तालाब बनाएं ,जिसमे जीव पानी पी सके
तो आप आईए मेरे साथ हम भी मिलकर संकल्प ले पानी को बचाने का
(क)
पानी तो अमृत का घोल
हर बूँद इसकी अनमोल
(ख)
कभी न गन्दा करना पानी
यह तो देता है जिन्दगानी
(ग)
पानी की जो करें संभाल
तो जीवन होगा खुशहाल
(घ)
अपनी जिम्मेदारी निभाएं
पानी से जीवो को बचाएं

इसके लिए मेरी अन्य रचनाएं पढे:-
पानी है अनमोल
पर्यावरण का रखो ध्यान
पर्यावरण बचाओ अभियान
आऊँ दिखाऊँ तुम्हें एक भयानक सपना
जीव बचाओ अभियान
आप सब मुझे अवश्य बताना कि हम पानी की संभाल और सुरक्षा मे अपना योगदान कैसे दे सकते है ?

20 जून 2009

बालगीत--पेड़


हरे भरे देखो ये पेड़,
कितने प्यारे देखो पेड़,
हवा से झूमें नाचें पेड़,
हमको जीवन देते पेड़।

धूप में चलकर जब थक जाते,
हमको गोद में लेते पेड़,
मन्द हवा की थपकी देकर,
मीठी नींद सुलाते पेड़ ।

घर के खिड़की या दरवाजे,
कुर्सी मेजें बड़ी चौकियां,
मीठे फ़ल से भरे टोकरे,
हमको लाकर देते पेड़।

हरे भरे देखो ये पेड़,
कितने प्यारे देखो पेड़।
******
हेमन्त कुमार

05 जून 2009

.पर्यावरण बचाओ अभियान (कथा-काव्य)

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आओ हम सब पर्यावरण को सुन्दर बनाने में सहयोग दें पर्यावरण की सुन्दरता को बनाए रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है.......






पर्यावरण बचाओ अभियान (कथा-काव्य)

पक्षियों ने इक सभा बुलाई
सबने अपनी बात बताई

सुन रहा था बूढ़ा तोता
जो ऊँची डाली पर बैठा

सबकी समस्या लाया कौआ
हम सब है मुश्किल में भैया

न तो मिलता हमें स्वच्छ जल
और दिखते हैं बहुत कम जंगल

न तो हमें मिलते मीठे फल
न ही शुद्ध वायु की हलचल

न दिखती है शीतल छाया
जाने कैसा समय है आया

दूर देश उड़ कर जाते हैं
तब जाकर भोजन पाते हैं

थोड़ा चोच में भर लाते हैं
उड़ते-उड़ते थक जाते हैं

मानव काटता है सब पेड़
करता प्रकृति से छेड़

वायु भी अब दूषित हो गई
गन्दगी सुन्दर धरा पे भर गई

किया न गर अब इस पे विचार
तो न जिएँगे दिन भी चार

फैला है हर जगह प्रदूषण
हो गया मैला स्वच्छ वातावरण

लुप्त हो रही पक्षी जाति
नहीं है कोई इन सबका साथी
......................................

सुन कर यह सब तोता बोला
धीरे से अपना मुँह खोला

यह सब समस्याएँ गम्भीर
पर रखो तुम थोड़ा धीर

क्यों न हम मिलकर सुलझाएँ
हम अपने कुछ नियम बनाएँ

उन नियमों का पालन करेंगे
हरा-भरा वसुधा को करेंगे

हम सब जो भी फल चखेंगे
उसके बीज नहीं फैकेंगे

रखेंगे उनको सड़को किनारे
सोचो जरा सारे के सारे

हम सब मिलकर करेंग यह सब
कितने पौधे फूटेंगे तब

देंगे हम ऐसे सहयोग
होंगे सुखी सारे ही लोग

हरी-भरी वसुधा फिर होगी
जिससे वायु भी शुद्ध होगी

मिलेंगे फिर हमको मीठे फल
बादल बरसाएगा स्वच्छ जल

नहीं रहेगा फिर प्रदूषण
शुद्ध होगा सारा वातावरण

चलो आज से ही अपनाएँ
हम सब सुन्दर वृक्ष लगाएँ

इसको जीवन में अपनाएँ
हरा-भरा वसुधा को बनाएँ
............................................

बच्चो तुम भी समझो बात
कुदरत की उत्तम सौगात

वृक्ष लगाओ सारे मिलकर
गन्दगी न फैलाओ धरा पर

आओ धरा को सुन्दर बनाएँ
हम सब इक-इक वृक्ष लगाएँ
**********************************

अपील:- प्रकृति अनमोल है। धरा की सुन्दरता, पर्यावरण को सम्हालना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है शुद्ध वातावरण में जीने का हम सब का अधिकार है इस को स्वच्छ बनाने में सहयोग दें...... सीमा सचदेव

04 जून 2009

आऊँ दिखाऊँ तुम्हें एक सपना

नमस्कार बच्चो ,
क्या आपको पता है कि आज विश्व पर्यावरण दिवस है । आज पर्यावरण की संभाल हमारी पहली आवश्यक्ता बन गई है । अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो हमें न जाने किन-किन समस्याओं से जूझना पडेगा । तो आओ:-
मिलकर कारवां बनाएं ,
अपना पर्यावरण बचाएं

मैने एक भयानक सपना देखा जो आपको भी सुनाती हूं । इससे पहले कि यह सपना सच हो हम जाग जाएं , और समय रहते पर्यावरण बचाएं

एक सपना

रात को सोते हुए अचानक
देखा सपना एक भयानक
आओ मैं तुम सबको बताऊँ
सत्य से परिचय करवाऊँ
सूखी धरा प्यासे लोग
सभी को कोई न कोई रोग
चलते मुँह पर रखके रुमाल
सूखे पानी के सब ताल
नहीं था खाने को शुद्ध खाना
न पक्षियों के लिए ही दाना
ऑक्सीजन के भरे सिलेण्डर
रखे हुए थे सब कंधों पर
सारे दिखे कुली के जैसे
चलते-फिरते मरीज़ों जैसे
बडा भयानक था वो मंजर
देख के मैं तो गई थी डर
फिर एक किरण की सुनी पुकार
बोली मन में करो विचार
मानव की गलती का ही फल
जो नहीं मिलता है शुद्ध जल
काटता रहता मानव पेड़
करता प्रकृति से छेड़
तभी तो शुद्ध नहीं है वायु
कम हो गई मानव की आयु
न तो शुद्ध मिलता है खाना
न पक्षियों के लिए ही दाना
पर जो थोड़ा करो विचार
हो सकता है इनमें सुधार
इक-इक वृक्ष जो सभी लगाएँ
तो यह वातावरण बच जाए
वायु तो शुद्ध हो जाएगी
धरा पे हरियाली आएगी
खाने को होंगे मीठे फल
बादल बरसाएगा स्वच्छ जल
होंगे नहीं भयानक रोग
खुश रहेंगे सारे लोग
.....................................
आओ हम सब वृक्ष लगाएँ
अपना पर्यावरण बचाएँ
ऐसे दे हम सब सहयोग
मिटाएँ प्रदूषण का रोग

***************************

अपील- पर्यावरण की संभाल हमारी नैतिक जिम्मेदारी है ,
आओ मिलकर यह जिम्मेदारी निभाएं
वातावरण को स्वस्थ बनाएं

02 जनवरी 2009

पानी है अनमोल

पानी है अनमोल
आज मै लेकर आई कहानी
इक मेढक की है नादानी
................
................
एक बाग मे था तालाब
सुन्दर सा नही कोई जवाब
तरह तरह के खिले थे फूल
छोटे से तालाब के कूल
वहाँ पे कुछ मेढक रहते थे
जल मे जलक्रीडा करते थे
कभी अन्दर कभी बाहर जाते
सब तालाब मे खूब नहाते

वहाँ पे पूरी मसती करते
नही वो कभी किसी से डरते
सारे ही वहाँ खुश रहते
उसे स्वर्ग सा सुन्दर कहते
मेढक इक उनमे शैतान
बुद्धि मे सबसे नादान
करता वो ऐसी शैतानी
जिससे गन्दा हो जाए पानी
पानी मे कचरा वो फैन्कता
और फिर सबका तमाशा देखता
पत्तो मे जाकर छुप जाता
और उन सबको बडा सताता
सारे मेढक दुखी थे उससे
क्या करे समझे वो जिससे
प्यार से उसको सब समझाते
और पानी का मूल्य बताते

न बर्बाद करो तुम पानी
पानी से मिलती जिन्दगानी
जो तुम इसको गन्दा करोगे
तो फिर जाकर कहाँ रहोगे
जो गन्दा पानी पियोगे
तो बीमारी से मरोगे
साफ स्वच्छ होगा जो यह जल
तभी होगा अपना मन निर्मल
पर मेढक ना समझे बात
सबने मिल सोचा इक रात
नया कोई ढूढेगे ठिकाना
इस मेढक को नही बताना
चुपके से यहाँ से निकलेन्गे
नई जगह पे जाके रहेन्गे
निकले छुप-छुपा के सारे
अब वो मेढक मन मे विचारे

अब तो मै हो गया आज़ाद
करूँगा मै पानी बर्बाद
नही कोई अब उसको रोकेगा
और वो मर्जी से रहेगा
किया तालाब का गन्दा पानी
खुश था करके वो शैतानी
पीता था वही गन्दा पानी
नही थी बात किसी की मानी
इक दिन वो पड गया बीमार
चलने फिरने से लाचार
नही था वहाँ पे कोई स्वच्छ जल
जिससे हो जाता वह निर्मल
अब मेढक को समझ मे आया
सोच सोच के बडा पछताया
जो मै सबकी बात समझता
और पानी न गन्दा करता

तो मै यूँ बीमार न होता
पडा अकेला कभी न रोता
पर न अब कुछ हो सकता था
वो तो बस अब रो सकता था
अपने किए पे पछता रहा था
भूल पे आँसु बहा रहा था
पर ना कोई था उसके पास
बैठ गया वो हो के उदास
नही करूँगा अब शैतानी
और ना करूँगा गन्दा पानी
पानी तो अमृत का घोल
हर बूँद इसकी अनमोल
..................
...................
बच्चो तुमको समझ मे आई
कभी न करना कोई बुराई

कभी न गन्दा करना पानी
यह तो देता है जिन्दगानी

**********************************
Appeal:-
पानी अनमोल है , इसकी हर बूँद कीमती है पानी की बचत हमारा धर्म है
पानी जीवन है , इसकी स्वच्छ्ता और सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है

SAVE WATER

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पढ़ने वाले भैय्या, अँकल जी और आँटी जी,
आप सब को नन्हें मन का नमस्ते.. प्रणाम.. सत श्री अकाल !
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nanhaman@gmail.com
पर
मेरे लिये कुछ लिख भेजिये, ना ..प्लीज़ !

प्यारे बच्चो , आपको और सभी भारतवासियों को आजादी की हार्दिक बधाई और शुभ-काम्नायें । स्वतंत्रता दिवस पर पढिए देश भक्ति की रचनाएं यहां ......

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