आपको पता है आज कौन सा दिन है ?....आज है बैसाखी पर्व पंजाब का एक सुप्रसिद्ध त्योहार । आज हम आपको बताएंगे कि यह त्योहार मनाने के पीछे क्या मान्याताएं हैं और यह त्योहार कैसे मनाया जाता है ।

वैसाखी का लगा है मेला
खुश सारे क्या गुरु क्या चेला
आओ सुनाऊँ पुरानी बात
वैसाखी का है इतिहास
सिख धर्म के दश गुरु थेदशम गुरु श्री गोबिन्द सिंह थे
होता लोगों पे अत्याचारआया उनको एक विचार
क्यो न ऐसा पंथ बनाएँऔर लोगो की रूह जगाएँ
जिससे समझे खुद को लोग
मिटाएँ अत्याचार का रोग
उसमें सबको शिक्षा देंगेमानवता के लिए लड़ेंगे
ऐसा पंथ उन्होंने साजा
जिसमें ना परजा ना राजाहोंगे सारे गुरु के शिष्य
सँवारेगे देश का भविष्य
शिष्य चुने उन्होने पाँच
की पहले उन सबकी जाँच
क्या वो देश पे मर सकते है ?
सच्च के लिए क्या लड़ सकते है?
कराया सबको अमृतपान
कड़ा,केस,कञ्घा,किरपानदेकर उनको सिख नवाजा
ऐसे खालसा पंथ था साजा
वैसाखी का दिन था पावन
सन था सोलह सौ निन्यावन
सिख धर्म का यह उपहार
तब से ही मनता त्योहार
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एक बात मैं और बताऊँएक और इतिहास सुनाऊँ
अंग्रेजों का था बस नाम
भारत माँ को बनाया दासी
दुखी थे इससे भारतवासी
किसी तरह भारत को बचाएँ
अंग्रेज़ों को दूर भगाएँ
सन था तब उन्नीस सौ उन्नीस
था वैसाखी का पावन दिन
लोगो ने मिलकर सभा बुलाई
होगी अंग्रेज़ों की विदाई
जगह थी जलियाँ वाला बाग
अमृतसर में है भी आज
अंग्रेजों को पता चला जब
हुए लाल-पीले सुन के तब
नहीं सभा वो होने देंगेन ही भारत को छोड़ेंगे
आ गया वहाँ पे जनरल डायर
अचनचेत ही कर दिए फायरलोगो की थी भीड़ अपार
जनरल खड़ा बाग के द्वार
सारा मार्ग बन्द कर दिया
और लाशों से बाग भर दिया
सैकड़ों लोग वहीं पर मर गए
बाकी सबको जागरूक कर गए
व्यर्थ न हुआ उनका खून
लोगों में भर गया जुनून
सबके खून का बदला लेंगे
अंग्रेजो को नहीं सहेंगे
सबने मिलकर लड़ी लड़ाई
अंग्रेज़ों से मुक्ति पाई
हो गया अपना देश आजाद
गए अंग्रेज़ देश से भाग
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हो किसान जब मालामाल
फसलें जब सारी पक जाती
कट कर जब घर पर आ जाती
भर जाते हैं किसानों के घर
तब उनको नहीं होता कोई डरवर्षा आए या तूफान
उनपे मेहरबान भगवान
सारे साल का मिल गया खाना
फिर क्यों न त्योहार मनाना
मिल कर सारे नाचे गाएँ
आओ हम वैसाखी मनाएँ
उन शहीदों को भी रखे याद
और ईश्वर से करे फरियाद
खुशियों के लगते रहे मेले
और सारे दुखों को हर ले
बैसाखी पर्व की आप सबको हार्दिक बधाई
कवयित्री- सीमा सचदेव