खरी खोटी बंदर को सुनाई
बोली तुझमें नहीं अक्ल
पानी में जा देख शक्ल
रहा वही बंदर का बंदर
क्यों दुकान जंगल के अंदर
पास में था जो सब गँवाया
दुश्मन अपना सबको बनाया
हुई न एक टका भी कमाई
सारी धन संपदा गँवाई
बैठा रह तू यहाँ अकेला
मैं तो चली देखने मेला
सुनकर शेर ने सारी बात
बंदर को इक मारी लात
भागा अपनी बचा के जान
बंद हुई बंदर की दुकान
15. इतने में बंदरिया आकर बंदर को खरी खोटी सुनानी लगी। अरे तुझमें जरा सी भी अक्ल नहीं है, जंगल में दुकान क्यों खोली। कमाई तो एक पैसा भी नहीं हुई बल्कि सबको अपना दुश्मन बना लिया और पास में जितना था वो भी सब गँवा दिया है तुमने। तुम वही बंदर के बंदर हो, जरा पानी में जाकर अपनी शक्ल तो देखो। अब तुम अकेले यहाँ बैठे रहो मैं तो मेला देखने जा रही हूँ।
शेर ने बंदरिया की सारी बातें सुनकर बंदर को एक लात मारी। बंदर अपनी जान बचा कर वहां से किसी तरह से भाग गया और बंदर की दुकान बंद हो गई।
~~ समाप्त ~~