नन्हा मन

बच्चों, बहुत खोजबीन के बाद, अचपन जी ने नन्हा मन पर उड़न तश्तरी उतारने में सफलता पाई ! देखा ? तो.. सी-बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया दो !
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30 जुलाई 2010

कुछ बूदें ज़िन्दगी की..

नमस्कार बच्चों, ना ना डरो नहीं मैं तुम्हें पोलियो की दवा पिलाने नहीं आया हूँ ।   मैं तो पानी बचाने के खातिर तुम्हारे लिये आज यह कुछ बूँदें लाया हूँ । हँस पड़े ना... भला  दो बूँद  पानी भी कुछ होता ? अगर तुमको यह याद होता कि बूँद बूँद से भरता सागर.. तो शायद न हँसते । हँसो.. हँसो, जरा और हँसो.. मन में तो यही आया होगा, आजकल हर जगह से बाढ़ आने की खबर आ रहीं है, समुद्र में पहले से ही इतना पानी भरा हुआ है.. फिर अचपन जी, कुछ बूँद ज़िन्दगी की क्यों लायें हैं ?
बताइये भला, इन बुद्धुओं को कौन समझाये ? जैसे अपने चारों तरफ़ वायुमँडल में हवा है, लेकिन यह सभी हवा हमारे साँस लेने के लिये नहीं है, हमें तो प्रदूषण-मुक्त शुद्ध हवा चाहिये होता है, न ?
ठीक है.. फिर इसी तरह हमें अपने इस्तेमाल के लिये भी साफ़ पानी चाहिये होता है । ठीक है.. क्योंकि अगर हम इस्तेमाल न करने लायक पानी, जबरदस्ती अपने उपयोग में लायेंगे.. तो बीमार होंगे वह अलग, और भी बहुत कुछ हो सकता है, जो हमें कई सालों बाद पता लगेगा ।
तुम लोगों में किस किस ने वाटर-साइकिल पढ़ रखा है ? अरे वही.. बादल से बरसात, बरसात से भूगर्भ के पानी का सँचय, इस सँचित पानी  को जमीन के नीचे से बाहर लाकर हम उपयोग करते हैं, घूम फिर कर यही पानी बादलों में परिवर्तित होता है.. और फिर.. यह चक्र ऎसे ही चलता रहता है ।
हम पानी की बरबादी न करें, तो कितना अच्छा हो । अरे हाँ, आपके पापा को मीटर से आने वाले पानी का बिल भी तो देना होता होगा, न ? वह भी कम हो जायेगा । अब पूछो कि इसे बचायें कैसें ? मैं एक चार्ट बनाया है.. इसे देखो, समझो और हो सके तो प्रिंट करके घर में किसी अच्छी जगह लगा दो ।

crowPecking

क्या किया कैसे किया खर्च   बरबादी यह करते खर्च होता तो    बचाया
दाँत ब्रश किया वाशबेसिन  के नल से, केवल 5 मिनट कुल 45 लीटर एक मग या टम्बलर लेते 0.5 लीटर 44.5 लीटर तक
हाथ धोये वाश बेसिन के नल को 2 मिनट खुला रखा 18 लीटर साबुन मलते समय टॊंटी बन्द रखते 2 लीटर 16 लीटर तक
पापा ने शेव किया 2 मिनट टोंती खुली छोड़ी 18 लीटर अगर शेविंग कप होता 2 लीटर 16 लीटर तक
शॉवर लिया साबुन लगाते समय बन्द न किया 90 लीटर बदन भिगाने के बाद इसे बन्द करके साबुन लगाते 20 लीटर 70 लीटर तक
टॉयलेट फ़्लॅश किया पुराने फ़ैशन का बड़ा सिस्टर्न है 13.5 लीटर नये चलन का डॅबल सिस्टम फ़्लॅश होता 4.5 से 8 लीटर 9 से 4.5  लीटर तक
पौधों को सींचा सीधे पाइप से 15 मिनट को 120 लीटर छोटी बाल्टी या बड़ा मग लेते 5 से 8लीटर 110 से 115 लीटर तक
मम्मी ने फ़र्श धोया सीधे मोटे पाइप से 10 मिनट 200 लीटर यदि पोंछा और बाल्टी होती 18 से 20 लीटर 180 लीटर तक
कार धोया मोटे पाइप से 10 मिनट 400 लीटर यह 3बाल्टी पानी में हो जाता 18 से 20 लीटर 380 लीटर तक

यह सब तो बाद की बातें हैं, जरा सोचो कि अगर आपके घर की एक भी टोंटी बूँद बूँद करके टपक रही हो, तो कितना नुकसान होगा.. 90  से 95 लीटर प्रतिदिन !

जी हाँ, भाई साहब, .. अब समझ में आया कि यदि बूँद बूँद से भरता सागर तो बूँद बूँद से खाली होती टँकी.. और खाली होती है पापा की ज़ेब ! तभी तो कहा है.

.रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून

पानी गये न उबरे मोती मानस चून !!

न जाने उन्होंने कितने साल पहले यह कहा होगा, और हम हैं कि आज तक इसका महत्व समझे  ही नहीं । तुम समझोगे ना ?

फिर मिलते हैं, अगली 30 तारीख को… सीमा दीदी को और अन्य सभी लेखक लेखिकाओं को मेरा नमस्ते कहना । – अचपन जी

07 जून 2010

दुनिया के लोग सुन लो,

nanhaman-chetak इतिहास गा रहा है, दिन रात गुण हमारा ।
दुनिया के लोग सुन लो, यह देश है हमारा ॥

इस पर जनम लिया है, इसी का पिया है पानी ।

माता है यह हमारी और पिता भी है हमारा ॥

बीते समय से पूछो, इसका हमारा नाता ।
हिन्दुस्तान है कहलाता यह रामराज्य हमारा ॥

झेलम तू ही बता दे, पुरू-वीर का वह पौरूष ।
यूनान का सिकन्दर, था तेरे तट पर हारा ॥

चित्तौड़ तू ही कह दे, क्षत्राणियों का जौहर ।
पद्मिनी की भस्म में है, गौरव छिपा हमारा ॥

जँगल में बसेरा और घास का था खाना ।
शेरों न भूल जाना, चमकता प्रताप हमारा ॥

था जब अँधेरा छाया, जो नव प्रकाश लाया ।
भूषण ने जिसको गाया, शिवराज वह हमारा ॥

होगा भविष्य उज़्ज़वल, फिर से उसी तरह का ।
बतला रहा है हमको, इतिहास यह जो हमारा ॥

30 अप्रैल 2010

सच्ची मुच्ची उनकी मुट्ठियाँ बन्द ही थीं

 सुबह की बातों में हो गयी शाम  मैं कुछ ही पलों में लौटा, नन्हें मुन्ने बच्चे इँतज़ार जो कर रहे थे, सच्ची मुच्ची में उन सबकी मुट्ठियाँ बन्द ही थीं । आते ही मैंने लम्बी तान लगाई.. red_fish
मछली जल की रानी है 
जीवन उसका पानी है
हाथ लगाओ, डर जायेगी
बाहर निकालो मर जायेगी
यह क्या, जया जी खिलखिला कर हँस रही  हैं, " अरे यह तो हम पहले से जानते हैं ! कुछ और सुनाइये ...42" मैं दुबारा से शुरु हो गया ।
झूठ बोलना पाप है
नदी किनारे साँप है  
काली माई फिर आयेगी
झूठे को पकड़ ले जायेगी.. ..
रिशी जी खुश हो गये," अरे यह तो मेरे सोनू मामा भी सुनाते थे ।" फिर तो मैं उन्हीं को चिढ़ा दिया, यह गाकर.. mail (2)
आलू कचालू बेटा कहाँ गये थे
बँदर की झोपड़ी में सो रहे थे 
बँदर ने लात मारी, रो रहे थे
मम्मी ने पैसे दिये हँस रहे थे
इस पर वैभव जी को बहुत मज़ा आया, औल औल.. औल भी सुनाइये. ! फिर मैं क्यों रुकता भला... अगर किसी बच्चे पर किताब या और भी कुछ चुराने का शक होता तो उसे देख देख हम सब गाते, kilroy_boy_e0
पोशन भाई ओ पोशन भाई
सौ रुपये की गाड़ी चुराई
अब तो ज़ेल में जाना पड़ेगा
जेल की रोटी खाना पड़ेगा
जेल का पानी पीना पड़ेगा
थई थुईया थुश्श्श
मदारी बाबा फुश्श
   लो यह देखो, सभी बच्चे धम्म से बैठ गये.. जैसे उन्हें कुछ और भी मज़ेदार मिलने वाला हो
घोड़ा, घोड़ा ज़माल खायी
ओ पीछे देखो मार खायी
बेचारा रास्ते में चलता था 8ekyghx
टुक टुक टक टक दौड़ता था
उसकी चिट्ठी गिर गयी
किसी ने उठा ली
बड़े लाट को दे दी
लाट साहब ने
फाड़-फूड़ फाड़-फूड़
फाड़-फूड़ फाड़-फूड़ फेंक दी
   ..   ..  उसके बाद तो हम ऎसा हँसते थे, ऎसा हँसते थे, कि क्या बतायें कैसा हँसते थे, बस समझो कि हँसते ही रहते थे । मेरी बात सुन कर बच्चे भी हँस पड़े । मैंने कहा.. अरे सुनो तो, अगर कोई जन किसी का टिफ़िन चोरी करके खा लेता, तो हम दो गुट बना कर उसे बोर करते करते रुला देते, उसे देख देख बस यही गाते रहते
backbear_e0मेरी रोटी किसने खायी
भालू ने
भालू तो मेरे साथ था
फिर हाथी ने 
हाथी तो मेरे साथ था
फिर शेर ने
शेर तो मेरे साथ था
फिर ? फिर ... इसनेऽऽ
   इस बात पर  बच्चे हँस रहे थे कि मुझे एक गीत और याद आया, उन दिनों खूब चला था
ताक धिनाधिन 
ताल मिला लो
हँसते जाओ
गोरे-गोरे
थाल-कटोरे
लो चमकाओ ।
चकला-बेलन
मिलकर बेले ATT00003
फूल फुलकिया
अम्मां तेरी
खूब फुलाओ ।
भैया आओ
मीठी-मीठी
अम्मां को भी 
यहां बुलाओ
प्यारी अम्मां
सबने खाया
अब तो खाओ ।
यह वाली शायद उनको अच्छी न लगी, सब सीरियस जो हो गये थे । मैं समझ गया, सोचा इनको हँसाना चाहिये.. कैसे ? कैसे ? कैसे.. अरे हाँऽऽ, जब हम स्कूल के निकलते थे, तो पैदल पैदल जाना होता था, ऑन फुट ! एक निकलता, किसी से कुट्टी हो तो और बात थी, वरना रास्ते में जिसका bgbt36.jpgभी घर पड़ता सबको इकट्ठा करता चलता.. हम तरह हम 1 से 11 होते जाते । अगर किसी बच्चे कहला दिया कि आज स्कूल नहीं जायेंगे, फिर हम खूब मज़ा लगाते, एक जन उस दिन का नाम जोर से बोलता, जैसे..
आज सोमवार है
चूहे को बुखार है
चूहा जायेगा डाक्टर के पास
डाक्टर कहेगा धीरे लो साँस
डाक्टर लगायेगा स्सूईई
चूहा बोलेगा हाय ऊईई  ..
बच्चा पार्टी को मज़ा आ रहा था, इधर मुझे देर भी हो रही थी, समीर अँकल, अरे वही.. उड़न तश्तरी वाले ने सुबह कह दिया है, कि उन्हें तीस को यह सब रिपोर्ट चाहिये.. मैं  सामने  से  डेढ़  दाँत  वाली  नन्हीं  जया  को  छेड़  कर झटपट  घर में घुस गया ! Kaleidoscope_2
तितली उड़ी, बस में चढ़ी
सीट ना मिली, रोने लगी 
ड्राइवर ने कहा, आ बैठ मेरे पास 
तितली बोली उँह चल हट बदमाश
बच्चों के मुँह से एक साथ निकला हाय अचपन जी, अब्भी नहीं अब्भी नहीं.. बस एक और, वैभव भी बोला "बछ एक औल छुना दीजिये ना !" 
फिर तो मैंनें खिड़की से ही झाँक कर कहा
जल्दी करो, जल्दी करोbaby_book
आज तुम पढ़ाई
मेला जाना है, पर
थोड़ी सी चढ़ाई
थोड़ी सी चढ़ाई
वहाँ होगा बंदर का नाच
डुग डुग डुग, डुग डुग डुग
और होगा भालू का नाच
डुग डुग डुग, डुग डुग डुग
फेल हुये तो तुम नाचोगे
डुग डुग डुग, डुग डुग डुग
तुम्हें देख कर बंदर भालू
और हम बजायेंगे ताली
क्लैप क्लैप क्लैप ! क्लैप क्लैप क्लैप !
क्लैप क्लैप क्लैप ! क्लैप क्लैप क्लैप !

हम गाते-खेलते थे, खूब मज़ा लगता था

हुआ यह कि, आज क्लिनिक से 4.30 पर लौटा तो देखता हूँ कि हमारी बच्चा पार्टी वैभव के लॉन में क्रिकेट खेल रही है । मुझे देखते ही जया चिल्लायी.. अ..चपन जीऽऽ
मैंने ज़वाब दिया, " हट गँदी, मैं तुम लोगों से नहीं बोलता ।" क्यॊं क्यॊं क्यॊं क्यॊं .. लीजिये साहब रिशी जी इतने परेशान हो गये कि, एकदम से क्यों-क्यों ही करने लग पड़े । मैंने कहा कि इत्ती धूप में खेल रहे हो, बीमार पड़ जाओगे तो ? cricket_avi और खेल भी क्या रहे हो, और कुछ नहीं तो क्रिकेट ?
अब रिशी जी खिसिया गये, " अरे हम लोग तो 10-10 खेल रहें हैं, बस कुछ ही देर का खेल है । इधर जया अपने कमर पर हाथ रख कर अपनी नाराजी जतायी.. अब यह भी ना खेलें तो क्या खेलें  ? उधर रिशी जी ने मुझे अपनी समझ्दारी बतायी, " बड़े लोग 20-20 खेलते हैं, और हम लोग अभी छोटे हैं, तो बस 10-10 ही खेलते हैं ।  अपना छुटकू वैभव क्यों चुप रहे, वह बोला तलिये आप ही बता दीजिये कि.. कि.. कि जब आप बच्चे थे, तब आप लोग क्या खेलते थे ?
उसने यह ऎसे पूछा कि मुझे मज़ा आ गया, मैंने कहा, " ऒऎ मिकी माउस.. हम लोग जो खेलते थे, उसमें हमारे अपने गाने भी होते थे, वह खूब मज़ा देता था, उसमें कभी हारने या जीतने का झगड़ा ही नहीं होता था, और हम सब मज़े लगा लगा कर खूब हँसते भी थे । बच्चों ने मुझे ऎसे देखा कि जैसे मैं उनसे दुनिया का सबसे बड़ा झूठ बोल रहा हूँ । मैंने कहा, जरा ठहरो.. अभी फ़्रेश होकर आता हूँ, फिर बताऊँगा ।

नहीं अभी.. नहींऽऽऽऽ अब्भी, अब्भी छुनाइये, यह वैभव जी हैं !
सुनाऊँगा भाई सुनाऊँगा, अभी लौटता हूँ.. मैं झूठ नहीं कहता, सच्ची आज तो सुनाना ही है, आज 30 तारीख जो है

30 मार्च 2010

गुड मॉर्निंग, बेड़ा पार..

नन्हा मन के सभी दोस्तों को
मेरा नमस्कार, सत श्री अकाल, सलाम वालेकुम, गुड मॉर्निंग, बेड़ा पार..
इस बार यह तय हुआ है कि अचपन जी हर महीने की 30 तारीख को तुमसे बातें करेंगे । सीमा दीदी का कहना तो मानना ही पड़ेगा न, भाई ?

अरे रे रे, वह सब तो ठीक है.. लेकिन यह बेड़ा पार क्या होता है, अचपन जी ? अच्छा चलो आप ही बताओ, कोई ज़वाब देगा ? नहीं ?
तो क्या मुझे ही बताना पड़ेगा ? अच्छा छोड़ो, मैं पहले एक हिन्ट देता हूँ.. ऎसा करो कि नीचे के इमेज़ पर जब पँख फड़ाने लगें तो अपना माउस दो सेकेन्ड के लिये उस पर ले जाओ, कुछ और दिखेगा, बस झट से समझ जाना ।

अभी भी नहीं समझे ? लगता है बुरे फँसे.. तो मैं ही बतला देता हूँ ।
हुआ यह कि अभी उस दिन हमारे रिशि जी और जया खेल खेल में बेचारे नन्हे वैभव की दोनों टाँगे और हाथ पकड़ कर झुला रहे थे, साथ में मस्ती से झूले लाल झूले लाल का गाना जैसा गा रहे थे । उसे चोट लग जाती तो ? मुझे बोलना पड़ा, छोड़ो इसे.. और ये झूले लाल क्या है ? टी वी , विडियो गेम से इन्हें छुट्टी मिले तब तो.. जानते ही नहीं थे । खिसिया गये, " होगा कुछ, पता नहीं ! हमको बस इत्ता मालूम है कि आज इसी बात की छुट्टी है । "

लो कर बात, इसी की छुट्टी है, मस्ती हो रही है, और जानते भी नहीं ? अब कोई जानना चाहेगा, तो जान ही जायेगा । मुझको लगा कि शायद किसी ने इन्हें बतलाया ही नहीं । रुको मैं बताता हूँ ..

भई, मैं बातें बहुत करता हूँ, थोड़ा शार्ट में चलेगा ?
तुम सबने देखा और सुना होगा कि हमारे बीच रहने वाले सिन्धी लोग सिन्ध से आये हैं । तो, ये झूलेलाल जी उन्हीं के देवता और हम सब से देवता हैं । देवता मायने बड़े बड़े काम करने वाले... सबकी मदद करने वाले महान पुरुष ! जब उन्होंने इनको बड़ी मुसीबतों से बचाया था, तभी से सिन्ध में रहने वाले और वहाँ के लोग इनको देवता मानते हैं ।

सिन्ध में टट्टा नाम का एक शहर होता था, वहाँ का बादशाह मर्खशाह सभी को बहुत परेशान करता था, लूट-पाट तो करते ही थे, साथ में वह सभी को अपना धर्म मानने को मज़बूर करते थे, जबरदस्ती करते थे । यह सन 930 की बात है । लोग हो गये परेशान.. जायें तो जायें कहाँ ?
एक बार तो हद ही हो गयी, उसने और उसके वज़ीर अहिया ने ऎलान कर दिया कि इस इस तारीख तक अगर सभी लोग सिर्फ़ हमारे धर्म को नहीं मानेंगे, तो एक एक का सिर काट डाला जायेगा । कोई भरोसा नहीं, अगर वह पागल बादशाह ऎसा कर ही न डाले..सो, फिर वही बात आ गयी, जायें तो जायें कहाँ ?

सभी ने सिन्धु नदी किनारे इकट्ठे होकर तीन दिनों तक भूखे प्यासे रह कर वरुण देवता की प्रार्थना की," भगवान हमें बचाओ !"

भगवान जी अपने चक्र, गदा वगैरह वगैरह लेकर भला कैसे आ सकते हैं, वह तो किसी आदमी का भेष बना कर ही तो आयेंगे । तो, उन्होंनें आकाश से आवज़ लगायी, कि तुम सब जन परेशान मत होना, मैं आऊँगा और सबको बचा लूँगा । बस कुछ ही दिन में.. ओफ़्फ़ोह..

भई, आई एक सॉरी, बिज़ली माई जाने वाली है.. बाकी बातें शाम को बताऊँगा.. सच्ची ! आना ज़रूर... अभी तो बेड़ा पार वाली बात रही जा रही है, न ? तो मिलते हैं आज ही रात को आठ बजे

पढ़ने वाले भैय्या, अँकल जी और आँटी जी,
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nanhaman@gmail.com
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मेरे लिये कुछ लिख भेजिये, ना ..प्लीज़ !

प्यारे बच्चो , आपको और सभी भारतवासियों को आजादी की हार्दिक बधाई और शुभ-काम्नायें । स्वतंत्रता दिवस पर पढिए देश भक्ति की रचनाएं यहां ......

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