नमस्कार बच्चों, ना ना डरो नहीं मैं तुम्हें पोलियो की दवा पिलाने नहीं आया हूँ । मैं तो पानी बचाने के खातिर तुम्हारे लिये आज यह कुछ बूँदें लाया हूँ । हँस पड़े ना... भला दो बूँद पानी भी कुछ होता ? अगर तुमको यह याद होता कि बूँद बूँद से भरता सागर.. तो शायद न हँसते । हँसो.. हँसो, जरा और हँसो.. मन में तो यही आया होगा, आजकल हर जगह से बाढ़ आने की खबर आ रहीं है, समुद्र में पहले से ही इतना पानी भरा हुआ है.. फिर अचपन जी, कुछ बूँद ज़िन्दगी की क्यों लायें हैं ?
बताइये भला, इन बुद्धुओं को कौन समझाये ? जैसे अपने चारों तरफ़ वायुमँडल में हवा है, लेकिन यह सभी हवा हमारे साँस लेने के लिये नहीं है, हमें तो प्रदूषण-मुक्त शुद्ध हवा चाहिये होता है, न ?
ठीक है.. फिर इसी तरह हमें अपने इस्तेमाल के लिये भी साफ़ पानी चाहिये होता है । ठीक है.. क्योंकि अगर हम इस्तेमाल न करने लायक पानी, जबरदस्ती अपने उपयोग में लायेंगे.. तो बीमार होंगे वह अलग, और भी बहुत कुछ हो सकता है, जो हमें कई सालों बाद पता लगेगा ।
तुम लोगों में किस किस ने वाटर-साइकिल पढ़ रखा है ? अरे वही.. बादल से बरसात, बरसात से भूगर्भ के पानी का सँचय, इस सँचित पानी को जमीन के नीचे से बाहर लाकर हम उपयोग करते हैं, घूम फिर कर यही पानी बादलों में परिवर्तित होता है.. और फिर.. यह चक्र ऎसे ही चलता रहता है ।
हम पानी की बरबादी न करें, तो कितना अच्छा हो । अरे हाँ, आपके पापा को मीटर से आने वाले पानी का बिल भी तो देना होता होगा, न ? वह भी कम हो जायेगा । अब पूछो कि इसे बचायें कैसें ? मैं एक चार्ट बनाया है.. इसे देखो, समझो और हो सके तो प्रिंट करके घर में किसी अच्छी जगह लगा दो ।
क्या किया | कैसे किया | खर्च बरबादी | यह करते | खर्च होता | तो बचाया |
दाँत ब्रश किया | वाशबेसिन के नल से, केवल 5 मिनट | कुल 45 लीटर | एक मग या टम्बलर लेते | 0.5 लीटर | 44.5 लीटर तक |
हाथ धोये | वाश बेसिन के नल को 2 मिनट खुला रखा | 18 लीटर | साबुन मलते समय टॊंटी बन्द रखते | 2 लीटर | 16 लीटर तक |
पापा ने शेव किया | 2 मिनट टोंती खुली छोड़ी | 18 लीटर | अगर शेविंग कप होता | 2 लीटर | 16 लीटर तक |
शॉवर लिया | साबुन लगाते समय बन्द न किया | 90 लीटर | बदन भिगाने के बाद इसे बन्द करके साबुन लगाते | 20 लीटर | 70 लीटर तक |
टॉयलेट फ़्लॅश किया | पुराने फ़ैशन का बड़ा सिस्टर्न है | 13.5 लीटर | नये चलन का डॅबल सिस्टम फ़्लॅश होता | 4.5 से 8 लीटर | 9 से 4.5 लीटर तक |
पौधों को सींचा | सीधे पाइप से 15 मिनट को | 120 लीटर | छोटी बाल्टी या बड़ा मग लेते | 5 से 8लीटर | 110 से 115 लीटर तक |
मम्मी ने फ़र्श धोया | सीधे मोटे पाइप से 10 मिनट | 200 लीटर | यदि पोंछा और बाल्टी होती | 18 से 20 लीटर | 180 लीटर तक |
कार धोया | मोटे पाइप से 10 मिनट | 400 लीटर | यह 3बाल्टी पानी में हो जाता | 18 से 20 लीटर | 380 लीटर तक |
यह सब तो बाद की बातें हैं, जरा सोचो कि अगर आपके घर की एक भी टोंटी बूँद बूँद करके टपक रही हो, तो कितना नुकसान होगा.. 90 से 95 लीटर प्रतिदिन !
जी हाँ, भाई साहब, .. अब समझ में आया कि यदि बूँद बूँद से भरता सागर तो बूँद बूँद से खाली होती टँकी.. और खाली होती है पापा की ज़ेब ! तभी तो कहा है.
.रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून
पानी गये न उबरे मोती मानस चून !!
न जाने उन्होंने कितने साल पहले यह कहा होगा, और हम हैं कि आज तक इसका महत्व समझे ही नहीं । तुम समझोगे ना ?
फिर मिलते हैं, अगली 30 तारीख को… सीमा दीदी को और अन्य सभी लेखक लेखिकाओं को मेरा नमस्ते कहना । – अचपन जी