नमस्कार बच्चो ,
आपके लिए रामेश्वरम कम्बोज हिमांशु जी नें अपनी कुछ बहुत ही प्यारी-प्यारी बाल-कविताएं लिख भेजी हैं , जिन्हें हम एक-एक कर आपको पढवाएंगे । पढिए उनकी पहली कविता और बताइएगा अवश्य कि आपको ’हिमांशु’ अंकल की कविता कैसी लगी ।
आपके लिए रामेश्वरम कम्बोज हिमांशु जी नें अपनी कुछ बहुत ही प्यारी-प्यारी बाल-कविताएं लिख भेजी हैं , जिन्हें हम एक-एक कर आपको पढवाएंगे । पढिए उनकी पहली कविता और बताइएगा अवश्य कि आपको ’हिमांशु’ अंकल की कविता कैसी लगी ।
खेल गीत
जब खेलने आए बच्चे-
हवा चली जी, हवा चली
तेज चली जी, तेज चली
टूटे पत्ते, छूटे पत्ते ।
बिखरे पत्ते, पत्ते –पत्ते
पत्ते दौड़े, आगे-आगे
पीछे –पीछे, हम भी भागे
जब खेलने आए बच्चे-
हवा चली जी, हवा चली
तेज चली जी, तेज चली
टूटे पत्ते, छूटे पत्ते ।
बिखरे पत्ते, पत्ते –पत्ते
पत्ते दौड़े, आगे-आगे
पीछे –पीछे, हम भी भागे
कभी इधर को, कभी उधर को
नहीं पकड़ में, वे आ पाए
हम भी हारे, वे भी हारे ।
आए पास में चुपके-चुपके
अब पकड़ में आए पत्ते;
सबने सभी उठाए पत्ते ।
नहीं पकड़ में, वे आ पाए
हम भी हारे, वे भी हारे ।
आए पास में चुपके-चुपके
अब पकड़ में आए पत्ते;
सबने सभी उठाए पत्ते ।
हिमांशु जी आपकी कविता बाल-मन के अनुकूल बडों को बचपन की मीठी-मीठी यादों में ले जाने को मजबूर करती है । बहुत प्यारा बालगीत ।
जवाब देंहटाएंहिमांछु अंतल ती तविता भौती अच्छी है!
जवाब देंहटाएं--
हो... हो... होली है!
--
संपादक : सरस पायस
धिमाँशू जी की कविता बहुत अच्छी लगी । होली की सब को बहुत बहुत शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना!
जवाब देंहटाएंआप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.