नमस्कार प्यारे बच्चो,
क्या आपको पता है कि हर वर्ष २२ मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है इसको मनाने का उद्देश्य यही है कि हम पानी की संभाल करें, यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है पानी हमारे जीवन की पहली प्राथमिकता है, इसके बिना तो जीवन संभव ही नहीं क्या आपने कभी सोचा कि धरती पर पानी जिस तरह से लगातार गंदा हो रहा है और कम हो रहा है , अगर यही क्रम लगातार चलता रहा तो क्या हमारा जीवन सुरक्षित रहेगा कितनी सारी आपदाओं का सामना करना पड़ेगा और सबकी जिन्दगी खतरे में पड़ जाएगी इस लिए हम सबको अभी से इन सब बातों को ध्यान में रख कर पानी की संभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी उठानी चाहिए यह दिवस तो २२ मार्च को मनाया जाता है और वैसे भी पानी की आवश्यकता तो हमें हर पल होती है फिर केवल एक दिन ही क्यों, हमें तो हर समय जीवनदायी पानी की संभाल के लिए उपाय करते रहना चाहिए, यह दिन तो बस हमें हमारी जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिए मनाए जाते हैं
तो चलो हम सब संकल्प लें कि हर समय अपनी जिम्मेदारी को निभाएंगे इस तरह हम बहुत सारे जीवों का जीवन बचाने में अपना सहयोग दे सकते हैं
मै आपको एक कहानी सुनाती हूँ, कि पानी को गंदा करने से या गंदा पानी पीने से क्या नुक्सान होता है.....
अमृत का घोल - कहानी
नदी किनारे था इक गाँव
घनी वहां पेडों की छाँव
मस्त-मस्त जब चले हवाएं
चारों ओर खुशबू फैलाएं
गाँव के बाहर बड़ा सा तल
भरा वहां वर्षा का जल
सब मिल उसकी करें संभाल
लगाया तल के ऊपर जाल
ताकि गंदा न हो तल
स्वच्छ रहे तालाब का जल
गर्मी की ऋतु जब भी आए
नदी में पानी कम हो जाए
तो फिर मिलकर सारे लोग
करें तल का पानी प्रयोग
गर्मी के दिन यूँ बिताएं
इतने में वर्षा ऋतु आए
छा जाए फिर से हरियाली
भर जाए फिर से तल खाली
पर इक था लड़का शैतान
जल मूल्य से था अनजान
इक दिन सूझी उसे शैतानी
क्यों न गंदा करे वो पानी
काटा उसने जाल को जाकर
फेंका कचरा जल में लाकर
खुले ताल पर पनपे मच्छर
बन गया बीमारी का घर
मरने लगे उसमें जल जन्तु
कोई भी यह न समझा परन्तु
क्योंकि तब जाड़े का मौसम
नदिया में पानी था हरदम
लड़के ने कर ली शैतानी
हो गया सारा गंदा पानी
कुछ दिन बाद वो शहर को आया
प्यास ने उसको खूब सताया
देखा एक गली में नल
पड़ा था पास खुला ही जल
वही जल पीकर प्यास बुझाई
पानी के साथ बीमारी आई
बुरा हो गया उसका हाल
पहुँच गया वो अस्पताल
मुश्किल से ही बची थी जान
आया फिर यह उसे ध्यान
गंदा किया है उसने तल
पिएंगे जो बाकी वह जल
होंगे वो भी सब बीमार
होगा यह तो अत्याचार
उलटे पाँव ही गाँव को आया
आकर उसने सबको बुलाया
सबके सामने गलती मानी
की थी जो उसने नादानी
सबने उसकी सुनी कहानी
बाहर निकाला तल का पानी
फिर से उसमे भरा स्वच्छ जल
अब न गंदा करेगा तल
बच तो गई थी सबकी जान
पर बच्चो यह रहे ध्यान
न करना ऐसी नादानी
कभी न गंदा करना पानी
पानी तो अमृत का घोल
हर बूँद इसकी अनमोल
पानी से मिलती जिंदगानी
व्यर्थ गंवाओ कभी न पानी
*******************************
मैं कुछ नारे भी दे रही हूँ। इन्हें याद करके अपने दोस्तों को सुनाना
1.जल बचे तो जीव बचें
पर्यावरण भी स्वच्छ बने
२.जल ही जीवन का आधार
कभी न समझो इसे बेकार
३.जल से पलता है जीवन
जल तो है बहुमूल्य धन
४.जल से ही मिलती जिंदगानी
व्यर्थ करो न कभी भी पानी
५.स्वच्छ जल जो सब पिएंगे
तो लम्बी आयु जिएंगे
६.पानी की करो देखभाल
साफ टैंक कुँआ या ताल
७.पानी को न व्यर्थ गंवाओ
पानी बचा कर जीवन बचाओ
८.आओ मिल अभियान चलाएं
जीवन हेतु जल बचाएं
९.सदा ही ढँक कर रखो वारि
पनपेगी न कोई बीमारी
१०.जोड़ो जो वर्षा का जल
नम होगा भूमि का तल
नन्हा मन
बच्चों, बहुत खोजबीन के बाद, अचपन जी ने नन्हा मन पर उड़न तश्तरी उतारने में सफलता पाई ! देखा ? तो.. सी-बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया दो !
22 मार्च 2010
विश्व जल दिवस, कविता कहानी नारे
इनमें देखो :
पर्यावरण दिवस,
बाल-कथाकाव्य,
विश्व जल दिवस,
विश्व जल दिवस नारे,
सीमा सचदेव
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बहुत प्यारी-सी कहानी...."
जवाब देंहटाएंamitraghat.blogspot.com
बहुत प्यार रचनाएँ
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर गूगल बज़ बटन लगायें, सबसे दोस्ती बढ़ायें