नाचा मोर नाचा मोर
जंगल में तो मच गया शोर।
बादल छाये बिजली चमकी
ठंढी हवा चली जंगल में
सुंदर पंख फैलाकर अपने
लगा थिरकने सुंदर मोर।
पिऊ पिऊ जब बोला मोर
भालू जी ने उठाई ढोल
कोयल मीठे स्वर में बोली
नाचेगा देखो अब मोर।
ठुमक ठुमक फ़िर नाचा मोर
झूम झूम कर नाचा मोर
दायें बाएं घूम घूम कर
ऊपर नीचे कूद कूद कर
नाच उठा जंगल में मोर।
नाचा मोर नाचा मोर
जंगल में तो मच गया शोर।
०००००००००००
झूम झूम कर नाचा मोर
दायें बाएं घूम घूम कर
ऊपर नीचे कूद कूद कर
नाच उठा जंगल में मोर।
नाचा मोर नाचा मोर
जंगल में तो मच गया शोर।
०००००००००००
हेमन्त कुमार
sundar
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना ...
जवाब देंहटाएंयह मोर तो बड़ा प्यारा है...
जवाब देंहटाएं_________________________
'पाखी की दुनिया' में- डाटर्स- डे पर इक ड्राइंग !
रचना बहुत ही सुन्दर है!
जवाब देंहटाएं--
आपकी पोस्ट की चर्चा "बाल चर्चा मंच"
पत्रिका पर भी है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/09/19.html
सरस रचना. एक सुधार: 'ठंढी' नहीं 'ठंडी'.
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