एक गिलहरी , बडी शरहरी
पास मेरे जब आकर ठहरी
प्यार से जब मैने पुचकारा
छुआ अंग भी प्यारा-प्यारा
नटखट चंचल और शैतान
लगी खुजाने अपने कान
पलक झपकते चढी पेड पर
बैठी जाकर वो फ़ल पर
कुतर-कुतर लगी फ़ल खाने
दूर से मुझको लगी चिढाने
पास मेरे जब आकर ठहरी
प्यार से जब मैने पुचकारा
छुआ अंग भी प्यारा-प्यारा
नटखट चंचल और शैतान
लगी खुजाने अपने कान
पलक झपकते चढी पेड पर
बैठी जाकर वो फ़ल पर
कुतर-कुतर लगी फ़ल खाने
दूर से मुझको लगी चिढाने
achchhaa laga
जवाब देंहटाएंaise hi likhate rahe
batane kuchh nahi raha.....aisi hi kawitaye pesh karate rahiye
bahut hi sundar rachana man baag baag ho gaya ekdam bachchho jaisa
जवाब देंहटाएंसीमा जी ,
जवाब देंहटाएंआपकी गिलहरी के साथ मुलाकात अच्छी लगी .बहुत बढिया रचना बच्चों के लिए .मैं भी कविताओं,गीतों,के साथ बाल गीत भी लिखती हूँ .यदि आप कहें तो नन्हा मन के लिए भेज सकती हूँ .
शुभकामनाये.
पूनम
सीमा जी ,
जवाब देंहटाएंआपका गीत बच्चों को तो पसंद आयेगा ही ....आपने बहुत सूक्ष्मता के साथ गिलहरी के क्रिया कलाप नोट किये ..तभी इतना सुन्दर गीत भी लिखा .
हेमंत कुमार
gilhari raani की सुन्दर kahaani, majaa aa गया पढ़ कर
जवाब देंहटाएंसीमा जी ,
जवाब देंहटाएंआपकी गिलहरी रानी तो हमे बहुत अच्छी लगी, हमारे बच्चे तो बडे हो गये है, लेकिन मुस्कुराये बिना नही रहे.
धन्यवाद
कट्टो गिलहरी चाबे पान
जवाब देंहटाएंकट गयी चुटिया रह गए कान.
सीमा जी की बनी सहेली
इसीलिये करतीं गुणगान.
आओ खेलो साथ हमारे
दोस्त 'सलिल' को भी लो मान