नमस्कार बच्चो ,
गर्मी का मौसम और वर्षा है कि हो ही नहीं रही । तपती गर्मी में तो बस एक ही चीज याद आती है , वर्षा की फ़ुहार , ताकि चारों तरफ़ मौसम सुहाना हो जाए । ऐसे मे आज आपके लिए अजय कुमार झा जी ने ऐसी ही एक कविता लिख भेजी है ।पढिए और बताईए कि कैसी लगी:-
कब आओगे बादल दादा
सूरज चाचू गर्म हो गए,
अब कब आओगे बादल दादा ,
जल्दी आओ,संग बारिश लाओ,
गर्मी हो गैयी बहुत ही ज्यादा..
लस्सी-जूस बना देते हैं,
पी लेना तुम आधा आधा,
सूरज चाचू को ठंदाने
आने का तुमने किया था वादा,
जोर से गरजो ,जम के बरसो,
इसमें है अब कैसी बाधा,
नाचें मोर पपीहा छम छम,
हम भी नाचें, तिन धा-धा....
गर्मी का मौसम और वर्षा है कि हो ही नहीं रही । तपती गर्मी में तो बस एक ही चीज याद आती है , वर्षा की फ़ुहार , ताकि चारों तरफ़ मौसम सुहाना हो जाए । ऐसे मे आज आपके लिए अजय कुमार झा जी ने ऐसी ही एक कविता लिख भेजी है ।पढिए और बताईए कि कैसी लगी:-
कब आओगे बादल दादा
सूरज चाचू गर्म हो गए,
अब कब आओगे बादल दादा ,
जल्दी आओ,संग बारिश लाओ,
गर्मी हो गैयी बहुत ही ज्यादा..
लस्सी-जूस बना देते हैं,
पी लेना तुम आधा आधा,
सूरज चाचू को ठंदाने
आने का तुमने किया था वादा,
जोर से गरजो ,जम के बरसो,
इसमें है अब कैसी बाधा,
नाचें मोर पपीहा छम छम,
हम भी नाचें, तिन धा-धा....
बहुत मासूम रचना है
जवाब देंहटाएं---
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE