राष्ट्र के प्रहरी सजग
सतत सीमा पर सजग
हाथ में हथियार है
वार को तैयार है ।
शत्रु पर आँखें टिकी
सांस आहट पर रुकी
सीमा न लांघ पाये
दुश्मन न भाग पाये ।
ठंड हो कितनी कड़क
झुलसती गरमी भड़क
परवाह न तूफान की
गोलियों से जान की ।
जान लेकर हाथ पर
खड़ा सीमा हर पहर
वीर बन पहरा सतत
राष्ट्र की रक्षा निरत ।
बस यही अरमान है
वार देनी जान है
चोट इक आये नही
आन अब जाये नही ।
बाढ़ हो तूफान हो
आपदा अनजान हो
वीर है तत्पर सदा
निसार जान को सदा ।
कवि कुलवंत सिंह
नया वर्ष स्वागत करता है , पहन नया परिधान ।
जवाब देंहटाएंसारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
गणतन्त्र-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएं♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
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हे! प्रभु यह तेरापन्थ
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सुन्दर रचना । गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंवीर रस से ओतप्रोत उत्कृष्ट देश भक्ति गीत . आजादी की शुभकामनाएं .
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