नमस्कार बच्चो ,
आज महा-शिवरात्रि पर्व है और यह पर्व पूरे भारत-वर्ष में बडी ही श्रद्धा और धूम-धाम से मनाया जाता है । लोग मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करते हैं , व्रत रखते हैं और पावन गंगा में स्नान कर पुण्य़ अर्जित करते हैं और आज के पावन दिन भला मैं आपको कैसे भूल सकती हूं , हां आने में थोडी देर अवश्य हो गई ।
सर्व-प्रथम तो आप सबको महा-शिवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई और ढेरों शुभ-कामनाएं । और अब मैं आपको बताऊंगी कि महा-शिवरात्रि पर्व क्यों मनाया जाता है ।
महा-शिवरात्रि नाम से ही ग्यात है कि यह पर्व भग्वान शिव से जुडा है । इस दिन को भग्वान शिव की विवाह गांठ के रूप में मनाया जाता है । इस दिन भग्वान शिव नें पार्वती जी संग विवाह रचा कर फ़िर से अपनी अर्धान्गिनी रूप में स्वीकार किया था । वही पार्वती जिसे उन्होंने स्वयं त्याग दिया था ।
कहते हैं एक बार भग्वान शिव और पार्वती घूमते-घूमते एक जंगल में पहुंचे , जहां भग्वान श्री राम माता सीता की खोज में इधर-उधर भटक रहे थे । भग्वान शिव नें श्री राम जी को परेशानी में देखा तो चुपचाप सिर झुका कर आगे चल दिए । पार्वती जी को भग्वान शिव का यूं सिर झुकाना अच्छा न लगा और शिव से कहा:-
"आप तो स्वयं भग्वान हो और राम एक साधारण जन , फ़िर आपने एक भग्वान होकर साधारण मनुष्य को अपना मस्तक क्यों झुकाया ।"
"भग्वान शिव नें पार्वती जी को बहुत समझाया कि स्वयं भग्वान विष्णु ही मानव रूप में श्री राम है , वो कोई साधारण जन नहीं हैं । " लेकिन पार्वती जी उनकी यह बात कहां मानने वाली थी । बस उन्होंने मन में ठान लिया कि जब तक वह श्री राम की परीक्षा नहीं ले लेती तब तक विश्वास नहीं होगा कि वह स्वयं भग्वान हैं । जब पार्वती जी किसी भी तरह शिवजी की बात मानने को तैयार नहीं हुईं तो भग्वान शिव नें पार्वती जी को श्री राम की परीक्षा लेने की अनुमति दे दी ।
पार्वती जी नें तुरंत सीता जी का रूप धारण किया और श्री राम जी के सम्मुख आ गईं ।श्री राम जो सीता की तलाश कर रहे थे , पार्वती जी को देखकर प्रणाम किया और उन्हें मां कहकर संबोधित किया तो पार्वती जी अत्यंत लज्जित हुईं । यह देखकर भग्वान शिव को क्रोध आ गया कि उनकी पत्नी किसी और का रूप कैसे धार सकती है , वो भी उसका जिसकी प्रभु शरी राम तलाश कर रहे हैं तो उन्होंने पार्वती को मन से त्याग दिया । भग्वान शिव का यूं त्याग देना पार्वती जी सह न पाईं और एक दिन अपने पिता द्वारा रचाए यग्य में अग्याग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए और सती कहलाई । उन्होंने फ़िर दूसरा जन्म लिया और घोर तपस्या करके शिव को फ़िर से पति रूप में पा लिया । बस इसी लिए यह महा-शिवरात्रि परव भी मनाया जाता है ।
महा-शिवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई....सीमा सचदेव
आज महा-शिवरात्रि पर्व है और यह पर्व पूरे भारत-वर्ष में बडी ही श्रद्धा और धूम-धाम से मनाया जाता है । लोग मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करते हैं , व्रत रखते हैं और पावन गंगा में स्नान कर पुण्य़ अर्जित करते हैं और आज के पावन दिन भला मैं आपको कैसे भूल सकती हूं , हां आने में थोडी देर अवश्य हो गई ।
सर्व-प्रथम तो आप सबको महा-शिवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई और ढेरों शुभ-कामनाएं । और अब मैं आपको बताऊंगी कि महा-शिवरात्रि पर्व क्यों मनाया जाता है ।
महा-शिवरात्रि नाम से ही ग्यात है कि यह पर्व भग्वान शिव से जुडा है । इस दिन को भग्वान शिव की विवाह गांठ के रूप में मनाया जाता है । इस दिन भग्वान शिव नें पार्वती जी संग विवाह रचा कर फ़िर से अपनी अर्धान्गिनी रूप में स्वीकार किया था । वही पार्वती जिसे उन्होंने स्वयं त्याग दिया था ।
कहते हैं एक बार भग्वान शिव और पार्वती घूमते-घूमते एक जंगल में पहुंचे , जहां भग्वान श्री राम माता सीता की खोज में इधर-उधर भटक रहे थे । भग्वान शिव नें श्री राम जी को परेशानी में देखा तो चुपचाप सिर झुका कर आगे चल दिए । पार्वती जी को भग्वान शिव का यूं सिर झुकाना अच्छा न लगा और शिव से कहा:-
"आप तो स्वयं भग्वान हो और राम एक साधारण जन , फ़िर आपने एक भग्वान होकर साधारण मनुष्य को अपना मस्तक क्यों झुकाया ।"
"भग्वान शिव नें पार्वती जी को बहुत समझाया कि स्वयं भग्वान विष्णु ही मानव रूप में श्री राम है , वो कोई साधारण जन नहीं हैं । " लेकिन पार्वती जी उनकी यह बात कहां मानने वाली थी । बस उन्होंने मन में ठान लिया कि जब तक वह श्री राम की परीक्षा नहीं ले लेती तब तक विश्वास नहीं होगा कि वह स्वयं भग्वान हैं । जब पार्वती जी किसी भी तरह शिवजी की बात मानने को तैयार नहीं हुईं तो भग्वान शिव नें पार्वती जी को श्री राम की परीक्षा लेने की अनुमति दे दी ।
पार्वती जी नें तुरंत सीता जी का रूप धारण किया और श्री राम जी के सम्मुख आ गईं ।श्री राम जो सीता की तलाश कर रहे थे , पार्वती जी को देखकर प्रणाम किया और उन्हें मां कहकर संबोधित किया तो पार्वती जी अत्यंत लज्जित हुईं । यह देखकर भग्वान शिव को क्रोध आ गया कि उनकी पत्नी किसी और का रूप कैसे धार सकती है , वो भी उसका जिसकी प्रभु शरी राम तलाश कर रहे हैं तो उन्होंने पार्वती को मन से त्याग दिया । भग्वान शिव का यूं त्याग देना पार्वती जी सह न पाईं और एक दिन अपने पिता द्वारा रचाए यग्य में अग्याग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए और सती कहलाई । उन्होंने फ़िर दूसरा जन्म लिया और घोर तपस्या करके शिव को फ़िर से पति रूप में पा लिया । बस इसी लिए यह महा-शिवरात्रि परव भी मनाया जाता है ।
महा-शिवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई....सीमा सचदेव
जय हो, जय, शिव-शंकर की जय!
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"महाशिवरात्रि पर आपके लिए हार्दिक शुभकामनाएँ!"
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा!"
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संपादक : सरस पायस