मूल कभी न छूटता , चाहे छूटे जान
काट मूल आगे बढें, होते वो नादान
होते वो नादान , गिरे ज्यों सूखा पात
छूटा मूल न कुछ मिला , लगता बडा आघात
कह सीमा उस पेड पर कभी न लगते फूल
किसी भी हेतु सूख गया ,हो जिसका मूल
काट मूल आगे बढें, होते वो नादान
होते वो नादान , गिरे ज्यों सूखा पात
छूटा मूल न कुछ मिला , लगता बडा आघात
कह सीमा उस पेड पर कभी न लगते फूल
किसी भी हेतु सूख गया ,हो जिसका मूल
nice
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विचार है धन्यवाद्
जवाब देंहटाएं