नन्हा मन के सभी दोस्तों को
मेरा नमस्कार, सत श्री अकाल, सलाम वालेकुम, गुड मॉर्निंग, बेड़ा पार..
इस बार यह तय हुआ है कि अचपन जी हर महीने की 30 तारीख को तुमसे बातें करेंगे । सीमा दीदी का कहना तो मानना ही पड़ेगा न, भाई ?
अरे रे रे, वह सब तो ठीक है.. लेकिन यह बेड़ा पार क्या होता है, अचपन जी ? अच्छा चलो आप ही बताओ, कोई ज़वाब देगा ? नहीं ?
तो क्या मुझे ही बताना पड़ेगा ? अच्छा छोड़ो, मैं पहले एक हिन्ट देता हूँ.. ऎसा करो कि नीचे के इमेज़ पर जब पँख फड़ाने लगें तो अपना माउस दो सेकेन्ड के लिये उस पर ले जाओ, कुछ और दिखेगा, बस झट से समझ जाना ।
अभी भी नहीं समझे ? लगता है बुरे फँसे.. तो मैं ही बतला देता हूँ ।
हुआ यह कि अभी उस दिन हमारे रिशि जी और जया खेल खेल में बेचारे नन्हे वैभव की दोनों टाँगे और हाथ पकड़ कर झुला रहे थे, साथ में मस्ती से झूले लाल झूले लाल का गाना जैसा गा रहे थे । उसे चोट लग जाती तो ? मुझे बोलना पड़ा, छोड़ो इसे.. और ये झूले लाल क्या है ? टी वी , विडियो गेम से इन्हें छुट्टी मिले तब तो.. जानते ही नहीं थे । खिसिया गये, " होगा कुछ, पता नहीं ! हमको बस इत्ता मालूम है कि आज इसी बात की छुट्टी है । "
लो कर बात, इसी की छुट्टी है, मस्ती हो रही है, और जानते भी नहीं ? अब कोई जानना चाहेगा, तो जान ही जायेगा । मुझको लगा कि शायद किसी ने इन्हें बतलाया ही नहीं । रुको मैं बताता हूँ ..
भई, मैं बातें बहुत करता हूँ, थोड़ा शार्ट में चलेगा ?
तुम सबने देखा और सुना होगा कि हमारे बीच रहने वाले सिन्धी लोग सिन्ध से आये हैं । तो, ये झूलेलाल जी उन्हीं के देवता और हम सब से देवता हैं । देवता मायने बड़े बड़े काम करने वाले... सबकी मदद करने वाले महान पुरुष ! जब उन्होंने इनको बड़ी मुसीबतों से बचाया था, तभी से सिन्ध में रहने वाले और वहाँ के लोग इनको देवता मानते हैं ।
सिन्ध में टट्टा नाम का एक शहर होता था, वहाँ का बादशाह मर्खशाह सभी को बहुत परेशान करता था, लूट-पाट तो करते ही थे, साथ में वह सभी को अपना धर्म मानने को मज़बूर करते थे, जबरदस्ती करते थे । यह सन 930 की बात है । लोग हो गये परेशान.. जायें तो जायें कहाँ ?
एक बार तो हद ही हो गयी, उसने और उसके वज़ीर अहिया ने ऎलान कर दिया कि इस इस तारीख तक अगर सभी लोग सिर्फ़ हमारे धर्म को नहीं मानेंगे, तो एक एक का सिर काट डाला जायेगा । कोई भरोसा नहीं, अगर वह पागल बादशाह ऎसा कर ही न डाले..सो, फिर वही बात आ गयी, जायें तो जायें कहाँ ?
सभी ने सिन्धु नदी किनारे इकट्ठे होकर तीन दिनों तक भूखे प्यासे रह कर वरुण देवता की प्रार्थना की," भगवान हमें बचाओ !"
भगवान जी अपने चक्र, गदा वगैरह वगैरह लेकर भला कैसे आ सकते हैं, वह तो किसी आदमी का भेष बना कर ही तो आयेंगे । तो, उन्होंनें आकाश से आवज़ लगायी, कि तुम सब जन परेशान मत होना, मैं आऊँगा और सबको बचा लूँगा । बस कुछ ही दिन में.. ओफ़्फ़ोह..
भई, आई एक सॉरी, बिज़ली माई जाने वाली है.. बाकी बातें शाम को बताऊँगा.. सच्ची ! आना ज़रूर... अभी तो बेड़ा पार वाली बात रही जा रही है, न ? तो मिलते हैं आज ही रात को आठ बजे
बहुत बढ़िया कथा सुनाई अचपन जी ने...अचपन जी की जय!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.............."
जवाब देंहटाएंडा. साहेब नमस्कार , सर्व-प्रथम तो क्षमा चाहुंगी कि कल आते आते भी नहीं आ पाई , बेटे के परिणाम और बुक्स लेने के चक्र में पूरा दिन व्यस्त रही और पूरा पोस्ट भी नहीं पढ पाई ,अभी आते ही पहले झूले लाल की कहानी पढी , आपने अद्भुत जानकारी दी है , जिसके बारे में कम से कम मुझे तो बिल्कुल भी पता नहीं था बस झूले लाल नाम के अलावा । पंजाबी का एक सुप्रसिद्ध गीत है.. लाल मेरी पत रखियो भला..... में झूले लाल नाम अवश्य सुना । ऐसी प्रस्तुति के लिए आभार
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