उस दिन हमें अमर अंकल नें बताया कि उन्होंने नन्हामन पर उडन-तश्तरी उतारी है और हम सब उसमें बैठकर आसमान की सैर भी कर आए । अमर अंकल नें इतना तो बताया कि उन्हें इसमें बहुत मेहनत करनी पडी , अब यह समझ में आया कि उस उडन-तश्तरी को उतारने में इतनी मेहनत क्यों लगी ?
भई उसके साथ समीर अंकल जो उतर रहे थे वो भी अपने दोस्तों के साथ , अब इतनी भारी-भरकम ह्म्म्म्म.....इतनी बडी उडन तश्तरी को उतरने में समय तो लगेगा ही न............। अमर अंकल को धन्यवाद जिन्होंनें समीर अंकल की उडन-तश्तरी नन्हामन पर उतार ली । अब देखिए समीर अंकल के साथ प्यारे-प्यारे दोस्त क्या कर रहे हैं । चलो बच्चो आप खूब मजे लेना अंकल के साथ , तो हो जाए मस्ती नन्हे-मुन्नों के लिए। अब पढते हैं समीर अंकल की कविता.......
एक है चिड़िया-
चूं चूं करती
चूं चूं करती
चीं चीं करती
नाम है उसका बोलू
इस डंडी से उस डंडी पर
उड़ती फिरती
फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
फिर दूजी चिड़िया भी आई
चूं चूं करती
चीं चीं करती
उड़ती फिरती
फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
नाम बताया मोलू
झूले में वो झूल रही है
मेरी यार बनोगी, बोलू?
चूं चूं, चीं चीं
दोनों ने यह गाना गाया
तब तक तीजा दोस्त भी आया
नाम जरा था अलग सा पाया
हिन्दु मुस्लिम सिख इसाई
जिसने पाला उसकी होती
उसी धर्म का बोझ ये ढोती
मुस्लिम के घर रह कर आई
एक नहीं पूरे दो साल
ऐसा ही तो नाम भी उसका
सबने कहा उसे खुशाल
वो भी झूला उस झूले पर
हन हन हन हन
घंटी वो भी खूब बजाता
ट्न टन टन टन
फिर सबके संग खाना खाता
चूं चूं, चीं चीं
चूं चूं, चीं चीं
तीनों सबको खुश रखते हैं
ठुमक ठुमक के वो चलते हैं
खुशी में होते सभी निहाल
हम भी मिलकर
गाना गाते
चूं चूं, चीं चीं
चूं चूं, चीं चीं
उड़ते जाते
फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र
-समीर लाल 'समीर'
जितने भी बच्चे पढेंगे , उन सबको समीर अंकल की तरफ़ से एक-एक मिल्की-बार । अपनी हाजिरी लगाना मत भूलिएगा ।
जितने भी बच्चे पढेंगे , उन सबको समीर अंकल की तरफ़ से एक-एक मिल्की-बार । अपनी हाजिरी लगाना मत भूलिएगा ।
आनन्ददायक कविता और सार्थक भी....."
जवाब देंहटाएंबढ़िया सन्देश देती हुई बाल कविता!
जवाब देंहटाएंसमीरलाल जी को बधाई!
nice
जवाब देंहटाएंbahut hi pyari bal kavita..
जवाब देंहटाएंhttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
वाह समीर भाई, पढ़कर मजा आ गया। बधाई आपकी क्रियेटिविटी को।
जवाब देंहटाएंwaah! yeh to bahut hi achchhee baal -kavita hai.
जवाब देंहटाएंmilky bar ke liye thnx
जवाब देंहटाएंनेईं दिदी, पैले मिल्ति बाल दो, तब तब हम ना, तब इछ अच्ची वाली कबीता-गीत पल कुथ लीखेंगे ।
अंतल मैनें कविता शुन ली है , अब मिल्ती बाल कब दोगे..... शुभम सचदेव
जवाब देंहटाएंअमर अंतल मिल्ती बाल तो समीर अंतल देंगे , आपको दो-दो मिल्ती बाल...:) , आज ही खरीद लेना और बिल समीर अंकल को कोरियर करवा देना ...:)
जवाब देंहटाएंचिड़िया की चूं-चूं प्यारी लगी ...और मेरा मिल्की-बार भी पक्का...
जवाब देंहटाएं____________________
'पाखी की दुनिया' में इस बार माउन्ट हैरियट की सैर पर.
समीर अंकल आपकी कविता पढ़ कर मज़ा आ गया ..... हमारे घर में भी रोज सुबह शाम चूँ चूँ करती चिड़िया है ...उसने अपना एक घोंसला भी बनाया है उसमे उसके दो बच्चे भी रहते है....
जवाब देंहटाएंकाश की हम भी चिड़िया होते
आपके घर झट उड़ के आ जाते
चाहे मंदिर चाहे मस्जिद चाहे हो गुरूद्वारे
घूम घूमकर सब जगहों पर धूम मचाते
बडा ही प्यारा बाल गीत ।बधाई..
जवाब देंहटाएंचिड़ियों का जिक्र होते ही,शहंशाह आलम जी की एक कविता याद आती हैः
जवाब देंहटाएं"चिड़ियों का हौसला देखिए
वो चाहे जहाँ आ-जा सकती है
सवर्णों के कुओं पर पानी पीती है
हरिजनों के घरों के दाने चुगती है
हम ऐसा कुछ भी तो नहीं कर सकते
ऐसा करने के लिए हममें
चिड़ियों-सा हौसला चहिए।"
जवाब देंहटाएंनेंईं नेंईं, अम मिल्ति बार नेंईं लेंदें ।
अमतो अबछे सबी त्यूददे को उनती कोबीता थुनना है ।
बढ़िया कविता!
जवाब देंहटाएंइसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता
इसकी ध्वन्यात्मकता है!
बहुत बढिया !!
जवाब देंहटाएंचिड़ियाओं के माध्यम से जातीय सदभाव का अति सुंदर संदेश बड़ों -छोटों
जवाब देंहटाएंको मिला .क्या बात -क्या बात बेमिसाल .
Aar uncle aap to nai na deemand karte a , ab mai kya karu ...:(
जवाब देंहटाएंबहुत आभार सबका...सीमा जी, सबको हमारी तरफ से मिल्की बार दिजिये. :)
जवाब देंहटाएंजीवंत रचना...साधुवाद.
जवाब देंहटाएंउपयोगी होने के कारण
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर
झिलमिल करते सजे सितारे!
शीर्षक के अंतर्गत
इस पोस्ट की चर्चा की गई है!