नमस्कार बच्चो ,
गर्मी का मौसम और स्कूल में धेर सारी छुट्टियां , खूब मस्ती कर रहे हैं न । तो चलो इस मस्ती के मौसम में हम आपके लिए लाए हैं नटखट कान्हा की मस्त-मस्त बाल-लीलाएं , आप भी पढिए और खूब मस्ती कीजिए और हम भी जा रहे हैं छुट्टियों में मस्ती करने मेरा मतलब घूमने-फ़िरने । तब तक आप कान्हा की बाल लीलाओं का आनन्द लीजिए और हम आपसे मिलेंगे एक माह बाद । तब तक हैपी होलिडेज़.......
आज से मैं आपको सुनाऊंगी कान्हा की पावन बाल-लीलाएं
सर्व-प्रथम सुनिए उनके जन्म की कहानी
(१)
एक समय की बात सुनाऊं
जन्म कथा कान्हा की बताऊं
मथुरा का राजा था कंस
डूब गया जिसका सब वंस
एक थी उसकी बहन प्यारी
देवकी भाई की दुलारी
खुशी से उसका ब्याह रचाया
पूरा भाई का फ़र्ज़ निभाया
वासुदेव देवकी के संग
बरसे थे खुशियों के रंग
तभी एक आई आवाज
खोल दिया जिसने सब राज
खुशी से जिसका ब्याह रचाया
मारेगा तुम्हें उसी का जाया
आठवां सुत तेरा होगा काल
रखना इसका सदा ख्याल
सुनकर कंस क्रोध में आया
नाता उसनें सब भुलाया
तान ली देवकी पर तलवार
करने लगा वो ज्यों ही वार
पैर पकड बोला वासुदेव
क्षमा करो हे इसको देव
इसकी जो होगी संतान
ले लेना तुम उनकी जान
मानी कंस नें उसकी बात
दे दी जीवन की सौगात
न समझा कुदरत का खेल
दे दी अपनी बहन को जेल
एक बार मथुरा का राजा था , जिसका नाम था कंस । कंस की एक बहन थी देवकी । वह अपनी बहन से बहुत प्यार करता था । देवकी का विवाह वासुदेव से हुआ ।विवाहोपरान्त कंस अपनी बहन को खुशी-खुशी रथ पर बैठा कर ससुराल छोडने जा रहा था तो रास्ते में उसे एक आकाशवाणी सुनाई दी -
" हे कंस जिस बहन को तुम खुशी-खुशी विदा कर रहे हो उसी का आठवां पुत्र तुम्हारा काल होगा ।"
ठहरो ! इसको मत मारो , इसने तुम्हारा क्या बिगाडा है । तुम्हें मारने वाला तो इसका पुत्र होगा फ़िर तुम इसे क्यों मार रहे हो ।
तुम चाहो तो इसके पुत्र को जन्म लेते ही मार देना , लेकिन इसकी जान क्यों ले रहे हो ।"
आवाज सुनकर कंस नें अपनी तलवार रोक ली और देखा तो वासुदेव उसके पैर पकडकर देवकी को न मारने की प्रार्थना कर रहा था । कंस नें वासुदेव की बात मान ली और और देवकी की हर संतान को उसे सौंपने का वादा लेकर देवकी और वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया ।
"बहुत सुन्दर-सी और सरल कविता......"
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