मैं चाहूँ ख़ूब खेलना
मैं गाऊँ एक तराना,
ख़ुशियों की बात बताना!
मैं चाहूँ हर पल हँसना,
फूलों की तरह महकना!
फूलों से बातें करती,
तितली के जैसे उड़ना!
मेरा मन है नन्हा-सा,
इसको मत कभी दुखाना!
मैं गाऊँ ... ... .
मैं चाहूँ ख़ूब खेलना,
चिड़िया की तरह फुदकना!
इस फुदक रही चिड़िया के,
बच्चों की तरह किलकना!
मैं खेलूँ, फिर मुस्काऊँ,
मुझको मत कभी सताना!
मैं गाऊँ ... ... .
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रावेंद्रकुमार रवि
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(चित्र में हैं : विश्वबंधु)
बहुत सुन्दर गीत!!
जवाब देंहटाएंशिशु-गीत बहुत सुन्दर है!
जवाब देंहटाएंबार-बार गुनगुनाने को मन करता है!
बहुत सुन्दर-सा गीत......"
जवाब देंहटाएंBAHUT SUNDAR GEET HAI BHAI...BADHAI...
जवाब देंहटाएंमै भी खेलना चाहता हूँ पर खेल खेल में बहुत नुक्सान हो जता है , फिर डांट पड़ती है
जवाब देंहटाएंकित्ता प्यारा गीत है..मजा आ गया.
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर इस पोस्ट की चर्चा
जवाब देंहटाएंनिम्नांकित शीर्षक के अंतर्गत की गई है –
इस दुनिया में सबसे न्यारे!
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टर्र-टर्रकर मेढक गाएँ -
"पेड़ लगाकर भूल न जाना!"