किताबों की दुनिया में पाया खजाना
कमला भसीन
किताबों कि दुनिया में पाया खज़ाना
ये साथी मेरी औ मेरा आशियाना ।
किताबों के संग–संग जंगल मैं घूमी
थे वाकई वो जंगल न दिखती थी भूमि ।
बोलती हवाओं के संग–संग मैं झूमी
तितली ने आके नजर मेरी चूमी ।
कोयल और तोते सुनाते थे गाना
किताबों कि दुनिया में पाया खज़ाना ।
किताबों ने मुझको दिखाए समन्दर
चमत्कारी जीव छिपे जिनके अंदर ।
मगर और घडि़याल यहाँ के सिकन्दर
ढूँढ़े न मिलते समन्दर में बंदर ।मछली- सा तैराक मैने न जाना
किताबों कि दुनिया में पाया खज़ाना
किताबों ने महलों में मुझको पहुँचाया
वहाँ मेरे चलने को कालीन बिछाया ।
राजा और रानी को खाते दिखाया
रानी को सखियों संग गाते दिखाया ।
महलों के ढंगों को मैंने पहचाना
किताबों कि दुनिया में पाया खज़ाना ।
लैला–मजनूँ के किस्से किताबों में पाए
शीरीं–फरियाद के दीदार इन्हीं ने कराए ।
इन्हीं ने मुझे राज़ सबके बताए
इन्हीं ने मुझे गीत और साज सुनाए ।
मेरे मन में भी इनने छेड़ा तराना
किताबों कि दुनिया में पाया खज़ाना
कभी साफ़–सीधी कभी ये पहेली
इन्हीं संग सोई इन्हीं संग खेली ।
किताबें बनी मेरी संगी–सहेली
इन्हीं की बदौलत कभी न अकेली ।
ये हों पास मेरे तो भूलूँ ज़माना
किताबों कि दुनिया में पाया खज़ाना
जवाब देंहटाएंअभी मैं अपने कार्य से फ़ारिग होकर आया तो नन्हामन को कमला भसीन की किताबों से दुनिया से लदा पाया ।
बेहतरीन तो है ही, बच्चों के हिसाब से बहुत उपयुक्त भी है । इँटरनेट के युग में बच्चों की रुचि किताबों से हटती जा रही है ।
एक देशगीत बन पड़ा है, यदि आज्ञा होगी तो कल या जून को पोस्ट कर दूँ ? आप जैसा कहें ।
nice poem, but someone said that the real world is not in book but out of book
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