नमस्कार प्यारे बच्चो ,आज कवि कुलवंत जी दिखाएंगे आपको आपकी दनिया "बच्चों की दुनीया " तो चलें कवि जी के साथ आपकी दुनिया में
बच्चों की दुनिया
बच्चों की है दुनिया प्यारी

लगती ज्यों फूलों की क्यारी
रंग रंग के फूल खिले हैं
महके यह बगिया फुलवारी ।
गूंज उठे जब घर किलकारी
सद के जाए माँ बलिहारी
भोली सूरत मोहित करते
वारी जाए दुनिया सारी ।
लड़ना, भिड़ना और झगड़ना
लेकिन फिर से घुल मिल रहना
पल भर में सब भूल भुला कर
मिलजुल कर फिर संग खेलना ।
पल में रूठें, पल में मानें
नहीं किसी को दुश्मन जानें
अजनबी हो कोई भले ही
खेल - खेल में अपना मानें ।
कोमल मन है, निर्मल बातें
हृदय खोल अपना दिखलाते
संग बिता कर कुछ पल देखो
प्रभु के दर्शन हम पा जाते ।
कवि कुलवंत सिंह
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अच्छी अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएं"संग बिता कर कुछ पल देखो , प्रभु के दर्शन हम पा जाते....." मनभावन शब्दों से सजी ये रचना कितने प्यारे सच को उजागर करती है......मासूम सा बचपन और प्रभु के दर्शन.....अति सुंदर भाव.."
जवाब देंहटाएंRegards
कुलवंत जी की बहुत सुन्दर रचना प्रेषित की है।चित्र भी बहुत अच्छा लगा।
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