थी उसकी आत्मा महान
करके एक बार सब काम
खेत में करने लगा आराम
नाग वहां इक देखा काला
किसान ने उसे दूध दे डाला
दूध कटोरा वहीं रख कर
गया किसान अपने घर पर
अगले दिन जब खेत में आया

कंगन सोने का इक पाया
दूध कटोरे में था कंगन
हर्षित था किसान का मन
हर दिन दूध वो रख कर जाता
अगले दिन इक कंगन पाता
मिला किसान को बहुत सा धन
बदल गया अब उसका जीवन
फिर भी उसके उच्च विचार
नहीं छोडा था सद-व्यवहार
पर था एक किसान का जाया
उसका मन तो था ललचाया
समझाता था उसे किसान
लालच करते हैं नादान
उतने अपने पैर फैलाओ
जितनी लम्बी चादर पाओ
पर बेटे को समझ न आए
पिता की बातें झूठ बताए
गया कहीं एक बार किसान
दे गया बेटे को फरमान
जाकर सांप को दूध पिलाना
उल्टे पाँव घर वापिस आना
बेटे को मिल गया बहाना
सोचा लेगा सारा खजाना

खेत में आया करके विचार
देगा अब वो सांप को मार
बिल से सर्प जब बाहर आया
तो बेटे ने लठ चलाया
किया सांप ने भी प्रहार
दिया किसान का बेटा मार
जब किसान घर वापिस आया
मरा हुआ बेटे को पाया
गया सर्प के पास किसान
बोला तुम तो हो महान
एक ही बेटा मेरा धन
बख्श दो तुम उसको जीवन
सुनकर सांप को आई दया
आकर सारा ज़हर पिया
मिल गया बेटे को नव-जीवन
पर अब नहीं मिलेगा धन
बोला सांप अब यहां से जाना
नहीं मिलेगा कोई खज़ाना
यह किसान की थी अच्छाई
जो मेरे मन में दया आई
उसने मुझको दूध पिलाया
कर्ज़ा मैने भी चुकाया
पर बेटे के बुरे विचार
जो मुझ पर ही किया प्रहार
लालच भरा है उसका मन
नहीं मिलेगा अब कोई धन
कह के सांप बिल में समाया
और फिर वापिस कभी न आया
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बच्चो तुम भी रखना ध्यान
न बनना इतने नादान
अपने सारे फर्ज़ निभाना
मन मे लालच कभी न लाना
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चित्रकार:- मनु बेत्खलुस जी
Why this type of nice stories are not in our schooling syllabus.........
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