एक बार की सुनो कहानी
बडे-बडों की थी नादानी
पकड के ले आए इक नारी
सर झुका कर खडी बेचारी
था उसका छोटा अपराध
करने लगे बडा विवाद
सारे लोग ही जाने माने
लगे उसका परिचय करवाने
कुल्टा कोई व्यभिचारी बताए
अपनी अपनी बात सुनाए
ईसा यूँ बोले सब सुनकर
इस को सारे मारो पत्थर
पर पहला पत्थर वो मारे
जो यह अपने मन में विचारे
किया न उसने कभी भी पाप
तभी मिटेगा इसका शाप
सुनकर कोई न आगे आया
सबने अपना सर झुकाया
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बच्चो तुम भी बात समझना
कभी किसी को बुरा न कहना
पहले जो खुद को पहिचाने
तो न कभी मिलेंगे ताने
इंसा नहीं बस बुरी बुराई
मारो उसको यही खुदाई
बडे-बडों की थी नादानी
पकड के ले आए इक नारी
सर झुका कर खडी बेचारी
था उसका छोटा अपराध
करने लगे बडा विवाद
सारे लोग ही जाने माने
लगे उसका परिचय करवाने
कुल्टा कोई व्यभिचारी बताए
अपनी अपनी बात सुनाए
ईसा यूँ बोले सब सुनकर
इस को सारे मारो पत्थर
पर पहला पत्थर वो मारे
जो यह अपने मन में विचारे
किया न उसने कभी भी पाप
तभी मिटेगा इसका शाप
सुनकर कोई न आगे आया
सबने अपना सर झुकाया
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बच्चो तुम भी बात समझना
कभी किसी को बुरा न कहना
पहले जो खुद को पहिचाने
तो न कभी मिलेंगे ताने
इंसा नहीं बस बुरी बुराई
मारो उसको यही खुदाई
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बहुत सुन्दर लेख
जवाब देंहटाएंyaha to bachcho ki phoolwari hai jaha rang birenge phool khile hai .bachpan ke din hame phir milenge .
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