तुम्हारे पास लकड़ी की नाव नहीं ,
निराशा कैसी?
कागज़ के पन्ने तो हैं !
नाव बनाओ और पूरी दुनिया की सैर करो..........
हर खोज,हर आविष्कार
तुम्हारे भीतर है ,
अन्धकार को दूर करने का चिराग भी
तुम्हारे भीतर है
तुम डरते हो,
कागज़ की नाव डूब जायेगी ,
पर अपने आत्मविश्वास की पतवार से उसे चलाओ
तो हर लहरें तुम्हारा साथ देंगी.........
kya khoob likha hai didi.bachhon ke liye likhte waqt bachha ban jana padta hai ,wo kyun nahi batayenge ?karur batayenge ,kyunki ab unhe maloom hai unke pass lakdi ki nahi kaagaj ki naav to hai
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही फरमाया आपने..सति श्री अकाल
जवाब देंहटाएंएक् सकारात्मक विचार वाली कविता ... बच्चा, बडो से यही तो चाहता है की उसे motivate किया जाये, उसका आत्मविश्वास बढाया जाये .. तो कोई भी आविष्कार मुश्किल नहीं ... Ilu
जवाब देंहटाएंरश्मि जी नन्हामन में आपका स्वागत है और आपकी कविता बच्चों क्या बडों के भीतर भी आत्म-विश्वास का संचार करने वाली है । सत्य कहा आपने आत्म-विश्वास से सब कुछ संभव है । बहुत-बहुत धन्यवाद
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