सबसे प्यारा मेरा देश,
सबसे न्यारा मेरा देश।
पुरा-पुरातन, चिर नवीन यह-
शान्ति-स्नेह का दे संदेश...
राम-कृष्ण की धरती पावन,
सरस्वती गणपति मनभावन।
खुसरो, सूर, कबीरा, मीरा,
बाजे ढोलक, झांझ, मंजीरा।
होली, ईद, दीवाली, राखी,
क्रिसमस, ओडम औ' बैसाखी।
स्वर्ग सद्रश सुख रहे हमेश...
गौतम-गाँधी की यह धरती,
सत्य-परिश्रम पथ-पग धरती।
शीश मुकुट है धवल हिमालय,
कंकर-शंकर, घर देवालय।
नेह-नर्मदा, कृष्णा-गंगा,
श्रम उन्नति निर्माण तिरंगा।
भय-दुःख किंचित रहे न शेष...
आओ! इस पर बलि-बलि जाएँ,
सकल विश्व को ग्राम बनाएं।
पढ़ें-सुनें रामायण-गीता,
बाइबल, ग्रन्थ, कुरान पुनीता।
ध्वजा तिरंगी मिल फहराएँ,
नील चक्र दस दिश जय पाये।
तरसें पाने जन्म सुरेश...
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shabdheen hoo aur natmastak hoo aapki kalam ke aage , aur shabd nahi hai mere paas aapki is itani sundar prastuti ke liye
जवाब देंहटाएंaapne is bal geet ke madhyam se bharat darshan kari diye....
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए एक गेय रचना,बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर बालगीत!
जवाब देंहटाएंजिन्हें रुचा उनको नमन, गुणग्राही हैं आप.
जवाब देंहटाएं'सलिल'विनय तव यश सके,दसों दिशा में व्याप..