आज से मैं तुमलोगों को एक उपन्यास पढ़वाने जा रही हूँ, जो पद्य और गद्य दोनों में होगी। रोज़ एक-एक भाग सुनाऊँगी। आज पढ़ो पहला भाग-

1.बंदर एक शहर को आया
बंदरिया को खूब घुमाया
देखी रेल गाड़ी और कार
घूमा पार्क और बाज़ार
घूमता एक दुकान पे आया
देख के उसका मन ललचाया
देखा होती खूब कमाई
बंदर ने योजना बनाई
खोलेगा जंगल में दुकान
ले जाएगा कुछ सामान
करेगा वो भी खूब कमाई
जो उसकी मेहनत रंग लाई
बन जाएगा वो भी अमीर
खाएगा हलवा पूरी खीर
पास में उसके थे कुछ पैसे
जोड़े थे जो जैसे-तैसे
खरीद लिया उसने सामान
खोली जंगल में दुकान
ऊंचे एक पेड़ के ऊपर
लगी दुकान और बैठा बंदर
सजी देख बंदर की दुकान
ग्राहक आने लगे महान
१. एक बार एक बंदर बंदरिया के साथ शहर में घूमने के लिए आया। शहर में घूम-घाम कर उसे बड़ा मजा आया। शहर में उसने रेलगाड़ी और कई कारें घूमती देखीं। यह देख बंदर-बंदरिया बहुत खुश हुए। घूमते घूमते वे दोनों बाज़ार में पहुंचे और एक दुकान पर आए। दुकान पर उन्होंने बहुत से ग्राहक देखे और देखा कि दुकान के मालिक को कितनी कमाई हो रही है। यह सब देख बंदर का मन लालच से भर गया और उसने भी एक योजना बनाई कि अगर वह भी जंगल में जाकर दुकान खोलेगा और मेहनत करेगा तो उसे भी खूब कमाई होगी और फिर वह अच्छे-अच्छे पकवान खाएगा । बंदर के पास जैसे-तैसे जोड़े हुए कुछ पैसे थे । उसने उन पैसों का सामान खरीदा और जंगल में आकर एक पेड़ के ऊपर दुकान खोल ली। बंदर की दुकान की चर्चा पूरे जंगल में जंगल की आग की तरह फैल गई। मामा की दुकान खुली देखकर उसके पास भी दूर-दूर से जंगली ग्राहक आने लगे।
(जारी..............
बहुत बढिया सीमा जी ....आगे क्या हुआ जानने की उत्सुकता बनी है ..मेरी छोटी बेटी नित्या को उपन्यास के दोनों रूप अच्छे लगे .
जवाब देंहटाएंहेमंत कुमार