परिणाम : बाल-रचना प्रतियोगिता - १
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"नन्हा मन" द्वारा आयोजित
बाल-रचना प्रतियोगिता - १ का परिणाम घोषित हो चुका है ।
प्रस्तुत है प्रतियोगिता के प्रथम विजेता
भास्कर रौशन
की कविता
पेड़
अगर तुम होते
सतपुड़ा के घने जंगलों में,
डूबे होते नींद में,
मस्ती में अनमने से ऊँघते,
जागकर लहराते यूँ
अपनी ही नाद में झूमते.
मिलाते अपनी बाँहें
अपनों से जुड़ जाते
एक-दूजे के सपनों से.
पशु-पक्षी, तीतर-बटेर
तुम पर अपने मन को फेर,
इस तरह रम जाते -
मानो, अपने-से हो जाते.
क्यों हो इस शहर में तुम?
जहाँ - धूल, गंदगी और
धूप में तपकर
दिन-रात उदास रहते हो,
अपनों का कुछ पता नहीं है
भीड़ से निराश रहते हो.
मनुष्यों को जगाओ ऐसे -
दिखे हर कोई तुमसे जुड़ा.
लगे मन से कंक्रीट नहीं,
हो जाएँ यूँ - ज्यों सतपुड़ा.
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प्रमाण-पत्र
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बाल मन की कोमलता को सँवारने का समवेत प्रयास
नन्हा मन
बाल-रचना प्रतियोगिता - १
(नई दिल्ली, भारत) ने इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर
अपनी कविता "पेड़" पर प्रथम स्थान प्राप्त किया ।
इन्हें निर्णायकों द्वारा प्रथम चरण में १० और
द्वितीय चरण में ०६ अंक प्रदान किए गए ।
इस प्रकार इन्हें २० में से कुल १६ अंक प्राप्त हुए ।
प्रथम स्थान प्राप्त करने पर
हम सबकी ओर से आपको हार्दिक बधाई ।
-- निर्याणक गण --
आचार्य संजीव वर्मा सलिल
और
डॉ. ज़ाकिर अली रजनीश
-- संयोजक : बाल-रचना प्रतियोगिता - १ --
रावेंद्रकुमार रवि
-- निवेदक --
bबहुत सुन्दर रचना है भास्कर जी को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंबधाई.
जवाब देंहटाएंबधाई हो....
जवाब देंहटाएंबहुत मुबारक,,,
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