रोमा एक बहुत प्यारी सी लड़की है वो एक छोटे से शहर में रहती है .ये एक छोटी सी जगह है पर बहुत ही सुंदर है .शांत और साफ़ स्वच्छ प्रदूष्ण मुक्त । .रोमा यहाँ बहुत खुश रहती है क्योंकि उस के घर के पास बहुत से उस की कक्षा के बच्चे भी रहते हैं .रोमा तीसरी कक्षा में पढ़ती है ..

यहाँ से अक्सर ही वो अपने माँ पापा के साथ शहर की मार्कीट जाया करती है .वहां सामान खरीदने और ट्राली में रखने में उस को बहुत मजा आता है .पर उस की एक गन्दी आदत है यहाँ वो जो कुछ भी देखती लेने की जिद्द करती .जिस चीज की जरुरत ना भी हो उस को भी लेना चाहती थी
पापा समझाते बेटा जो जरुरी है वही लेना चाहिए .पैसे बेकार में खर्च नहीं करना चाहिए . पर रोमा बहुत परेशान करती पापा का कहना नहीं मानती .अब तो पापा ने उस को कहीं भी शौपिंग पर ले जाना बंद कर दिया था .
माँ पापा बहुत परेशान थे .एसा रोमा हमेश करती थी .जब भी कहीं बाहर घूमने जाते तो किसी मार्केट में जाने से घबराते थे क्यों की रोमा पुनः शुरु हो जाती ये ले लो वो लेलो ये चाहिए वो चाहिए .
एक दिन रोमा स्कूल से घर आई .माँ ने कहा "रोमा अपना होमवर्क करने के बाद मैथ का ये एडिशन करना है "
"पर माँ ये तो मै क्लास २ में कर चुकी हूँ अब ये सिंपल वाले मैथ नहीं होते मेरी क्लास में.फिर इनको करने का क्या फायदा ."
"अरे तो क्या हुआ फिर कर लो "
"माँ प्लीस इस का कोई यूज़ नहीं है फिर क्यों?"
अच्छा बेटा चलो कोई बात नहीं ये जो एनीमल वाली बुक है न इस को पढ़ लेना
माँ ये तो में पढ़ चुकी हूँ
बेटा तो दोबारा पढ़ लो
पर माँ
"पर वर कुछ नहीं बेटा आप इस को पढें "
""पापा देखिये न माँ वो मैथ करने को कह रही है जिस का इस क्लास में कोई उपयोग नहीं है और वो बुक पढने को कह रही हैं जिस को मै पहले पढ़ चुकी हूँ "
"बेटा आप इतना परेशान क्यों हो रहीं हैं ?माँ ने कुछ गलत तो नहीं कहा है आप भी तो बाजार में हर सामान खरीदने को कहती है जो आप के पास है पर थोडा सा अंतर है तो उस को लेने को कहती हैं .या फिर जिस की आप को कोई जरुरत नहीं है उस को भी लेने के लिए कहती हैं ."
ये सुन के रोमा को अहसास होगया की वो कितना गलत करती है आज वो समझ गई थी जी जिस चीज़ की जरूरत न हो वो नहीं लेनी चाहिए .
पापा माँ मुझको माफ़ कर दो अब मै एसा नहीं करुँगी ."
रचना श्रीवास्तव
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