आकर बंदर को फ़रमाया
सुना है तेरी शॉप कमाल
मिलता है यहां सब माल
तपती गर्मी से हूं तंग
जल रहा मेरा अंग-अंग
दे दो जो मुझको बरसात
दूंगा फिर मैं सबको मात
सुनकर बंदर था हैरान
कैसे ग्राहक हैं महान
बोला मेघ बुलवाता हूँ
तेरे घर पहुँचाता हूँ।
7. अब टर्र-टर्र करता हुआ मेढक बंदर के पास आया और आते ही फ़रमाया :-
सुना है बंदर भाई, तुम्हारी दुकान बड़े कमाल की है, यहां पर हर चीज मिलती है।
हां हां मेढक भाई, बोलो तुम्हें क्या चाहिए।
देखों गरमी से मेरा बुरा हाल हो रहा है, मेरा पानी के बिना अंग-अंग जल रहा है। अगर तुम मुझे थोड़ी सी बरसात दे दो तो मैं सबको मात दे सकता हूँ।
सुनकर बंदर हैरान था और मन ही मन बुदबुदाया, अरे कैसे कैसे महान ग्राहक हैं पर मेढक से बोला:- मैं अभी बादल को बुलावा भेजता हूं, और वर्षा तुम्हारे घर तक पहुँचा दूंगा।
आठवाँ भाग
सीमाजी बहुत सुन्दर बाल रचना है आपका ब्लोग खुलने मे देर बहुत लगती है ऐसा क्यों है कई बार टिप्पणी देने से रह जाती हूँ आभार्
जवाब देंहटाएंवाह वाह सीमा जी..कमाल की कथा चल रही है..पुत्र को पढ़ कर सूना रहा हूँ उसके साथ साथ मुझे भी मजा आ रहा है....जारी रहे ..
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