आज सुनो सब वही कहानी

गाँव मे रहता था जादुगर
नही था उसका अपना घर
बच्चो को वो खेल दिखाता
जो भी मिलता वो खा लेता
रात को बाहर ही सो जाता
पर नही अपना घर बनाता
एक बार जब वो सोया था
मीठे सपनो मे खोया था
चलने लगे आँधी तूफान
पडी खतरे मे सबकी जान
आसमान मे बादल छाए
चाँद भी कही नज़र नही आए
छाया अँधकार था काला
ऐसे मे चाहिए था उजाला
जादुगर बडा समझदार था
जादु मे भी होशियार था
उड कर गया वो नभ मे ऐसे
उडते नभ मे पक्षी जैसे
पहुँचा वो बादल के पार
चाँद की रोशनी दिखी अपार
पकडा उसने चाँद को जाकर
किया उजाला धरा पे लाकर
आई लोगो की जान मे जान
की इक दूजे की पहचान
रात मे भी हो गया उजाला
और जब मिट गया तम काला
फिर से चाँद को छोड के आया
आसमान मे जोड के आया
की थी उसने सबकी भलाई
मेहनत उसकी थी रँग लाई
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बच्चो सुनो ध्यान से बात
समझदारी है बडी सौगात
चाँद पे तुम भी जा सकते हो
सबको राह दिखा सकते हो
कर सकते हो तुम भी उजाला
मिटा सकते हो हर तम काला
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सरस रचना. साधुवाद.
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