आज मैं फिर आई हूँ आपके सम्मुख एक नई कहानी और जानकारी के साथ।
आप तो जानते ही है कि दीवाली पाँच दिन का उत्सव है। कल मैंने आपको
पहले दिन "धनतेरस"की कहानी सुनाई थी आज बताऊँगी दीवाली के दूसरे
दिन का रहस्य, जिसको छोटी दीवाली भी कहा जाता है। इसके साथ बहुत सी
बाते जुड़ी है मुख्य कथा है-नरकासुर वध की इस लिए इस त्योहार को
नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन भी लोगों द्वारा दीपक जला कर घरों
को रोशन किया जाता है, इस लिए इसे "छोटी दीवाली" भी कहते हैं।
तो यह सुनो छोटी दीवाली की कहानी:-
छोटी दीवाली की कहानी
सुनाती थी मुझे मेरी नानी
आज मैं तुम सबको सुनाऊँ

एक नया इतिहास बताऊँ
दानव था इक नरकासुर
था वो बड़ा ही ताकतवर
राज्य उसका था विशाल
पर देवों के लिए था काल
देवों पर पा ली विजय
बन गया नरकासुर अजय
देव-माता का किया अपमान
खाली कर दिए उसके कान
अदिती माँ के कुण्डल लिए छीन
किए कार्य उसने हीन
पुत्री उसकी सोलह हजार
रखा उनको अपने दरबार
उनको अपना गुलाम बनाया
साधु सन्तों को सताया
पर बच्चो यह रखना ध्यान
ज्यादा नहीं चलता अभिमान
इक दिन टूट गया अहंकार
हो गया श्री कृष्ण अवतार
नरकासुर को मार गिराया
देव-कन्याओं को बचाया
सबके संग में ब्याह रचाया
सबको अपनी रानी बनाया
देव-माता के ले लिए कुण्डल
स्वर्ग में फिर से हो गया मंगल
सबने मिलकर खुशी मनाई
छोटी दीवाली यह कहलाई
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नरकासुर प्रज्योतिश्पुर जो आजकल दक्षिण नेपाल में है का राजा था
देवों की माता का नाम अदिती था
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२. बच्चो, इस दिन के साथ और भी कथाएँ जुड़ी है आपको याद है ना
कुछ दिन पहले मैंने आपको "ओणम" की कहानी सुनाई थी
वह कहानी भी इसी दिन के साथ जुड़ी है। मैं जानती हूँ आपके मन में बहुत
से प्रश्न उठ रहे होंगे कि ओणम का त्योहार तो बहुत दिन पहले था और
"छोटी दीवाली" अब आ रही है, तो यह कहानी उससे सबंधित कैसे?
यही सोच रहे है न आप। चलो मैं आपको बताती हूँ।
इस दिन विष्णु भगवान ने वामन अवतार लेकर " राजा बलि "
का वध किया था कहानी तो आप जानते ही है लेकिन फिर दया
करके "राजा बलि " को वर्ष में एक बार वापिस आने का वरदान भी
दिया था। उसी वरदान के कारण राजा बलि वर्ष में एक बार जब
वापिस आते हैं तो "ओणम " का त्योहार मनाया जाता है
और राजा बलि का वध क्योंकि कार्तिक मास की चौदहवी तिथि को
हुआ था, इस लिए यह त्योहार दीपावली से एक दिन पहले
छोटी दीवाली के रूप में मनाया जाता है।
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३. इस दिन के साथ एक और कथा भी सम्बन्धित है। आपने श्री राम
की कहानी तो सुनी ही होगी कि दीपावली के दिन वह चौदह वर्ष का वनवास
काट कर अयोध्या वापिस आए थे। पर क्या आपको पता है श्री राम जी ने
अपने वापिस आने से पहले हनुमान को अयोध्या अपने वापिस आने
का समचार देने हेतु भेजा था और इस दिन हनुमान ने अयोध्या
वासियों को राम के वापिस आने का समचार सुनाया था और लोगों
ने खुशी में घरों में दीपमाला की थी तभी इसको छोटी दीवाली कहा जाता है
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४. एक और बात इस दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव
( श्री हनुमान ज्यन्ती) भी मनाया जाता है
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५॰ बंगाल में इसको " काली चौदस " कहा जाता है और
देवी माँ काली का जन्मोत्सव मनाया जाता है बड़े से पण्डाल
में माँ काली की मूर्ति प्रतिष्ठित कर धूमधाम से पूजा की जाती है
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तो बच्चो, कैसी लगी आपको यह जानकारी, बताना जरूर
आप सबको छोटी दीवाली की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएँ ......सीमा सचदेव
वाह.....
जवाब देंहटाएंकविता में कहानी!
बढ़िया सन्देश दिया है।
दीपावली, गोवर्धन-पूजा और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!