जन-जीवन के हैं रखवाले।
धरती का श्रंगार सजाना,
नये-नये कुछ पेड़ लगाना।।
फल देते ये बहुत रसीले।
आँगन-बागों की शोभा हैं,
हरे-भरे हैं पेड़ सजीले।।
सुंमन हमारे मन को भाते।
वातावरण सुगन्धित करते,
ये सबको पुलकित कर जाते।।
अपना अभिनव राग सुनाते।
सुन्दर पंखों वाली तितली,
भँवरे गुन-गुन करते आते,
(सभी चित्र गूगल सर्च से साभार)
(सभी चित्र गूगल सर्च से साभार)
सुंदर व संदेशपरक पोस्ट.....
जवाब देंहटाएंमनभावन कविता बार बार गुनगुनाने का मन होता है साथ ही साथ एक सुंदर संदेश देती हुई...बढ़िया कविता..बधाई
जवाब देंहटाएं