
सबकी आंखों का तारा
बेशक हूं मैं छोटा बच्चा
किन्तु नहीं अक्ल में कच्चा
सबको नाच नचाता हूं
रोकर सब मनवाता हूं
प्यार से जो भी मुझे बुलाए
मैं उसका हो जाता हूं ।
पढ़ने वाले भैय्या, अँकल जी और आँटी जी,
nanhaman@gmail.com
पर
मेरे लिये कुछ लिख भेजिये, ना ..प्लीज़ !
बहुत सुन्दर बाल-कविता है!
जवाब देंहटाएंउत्कर्षों के उच्च शिखर पर चढ़ते जाओ।
पथ आलोकित है, आगे को बढ़ते जाओ।।