नमस्कार ,
आज कौन सा दिन है ? आज है - लोहडी का दिन - पंजाब का सुप्रसिध त्योहार । यह त्योहार मुख्य रूप से पंजाब में बडी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है । इस दिन लोग रेवडी , तिल के लड्डु , मुंगफ़ली , गुड और खूब सारी मिठाईयां खाते है और बांटते भी हैं । मुंह में पानी भर आया । चलो मैं आपको घुमाने ले चलती हूं पंजाब में जहां पर आज यह त्योहार मनाया जा रहा है , और आप भी मेरे साथ खूब सारे तिल के ल्ड्डु और रेवडी खाना । पर उससे पहले यह तो पता लगाएं कि यह त्योहार मनाया क्यों जाता है ।
1.दिन को लोग अपने नायक को याद करते हुए मनाते हैं और वो नायक पता है कौन था- एक डाकु । हैरान मत होना , वो एक डाकु ही था लेकिन बहुत ही विचित्र डाकु था , जिसे गरीबों का मसीहा माना जाता था और उसका नाम था - दूला भट्टी । दूला भट्टी अमीरो का खजाना लूटता और गरीबों में बांट देता , इस तरह वह गरीबों का हीरो कहलाता । एक बार उसने किसी अपहरण्कर्ता से दो लडकियों सुन्दरी और मुन्दरी को छुडवाया था और फ़िर उनका विवाह भी किया और जिस तरह एक पिता अपनी पुत्रियों को विदाई देता है वैसे ही उसने उनको सम्मान सहित अपने घर से विदा किया और उपहार स्वरूप उनको दे थी - एक सेर (किलो) शक्कर । तभी से लोग उस की याद में यह दिन मनाने लगे और इस दिन युवा लडके घर-घर जाकर लोहडी मांगते हुए गीत गाते हैं-
सुन्दर मुन्द्रिए ---हो
तेरा कौन विचारा---हो
दुल्ला भट्टी वाला------हो
दुल्ले धी व्याही-------हो
सेर शक्कर पाई------हो
कुडी दा सालु पाटा------हो
कुडी दा जीवे चाचा ----हो
इस तरह गीत गाते हुए वह पूरे गांव से लकडी , गाय के गोबर की पाथी ----आदि इक्कठा करके रात को जला कर लोहडी का त्योहार मनाते हैं ।
२. लोहडी का त्योहार सूर्य और अग्नि देव की पूजा करते हुए मनाया जाता है । पूस मास में क्योंकि ठण्डी बहुत होती है और सर्दी को भगाने के लिए अग्नि जला कर सूर्य देवता को तपिश देने की प्रार्थना की जाती है । अग्नि से क्योंकि ठण्डॆ मौसम मे राहत मिलती है तो लोग आग जलाकर मिठाईयां , रेवडियां , तिल आदि खाते हुए इसका खूब आनन्द लेते हैं ।
३. प्यारे बच्चो आपने अपनी बुक्स में पढा होगा कि प्राचीन काल में लोग अग्नि की पूजा करते थे तो लोहडी के त्योहार को उसके साथ भी जोडा जाता है । प्राचीन युग में लोग जंगलों में रहकर मांस खाकर गुजारा करते थे । पहले वह कच्चा मांस ही खाते थे लेकिन आग की खोज के बाद वह मांस को भून कर खाने लगे , इसके लिए युवा लडके-लडकियां जंगल में जाकर लकडियां चुनकर लाते थे और उसी तरह आज भी गांवों में युवा लडके-लडकियां घर-घर जाकर लोहडी मांग कर लकडियां मांग कर लाते हैं और रात को उन्हीं लकडियों से लोहडी जलाई जाती है ।
४. बच्चो इस दिन लोहडी जलाकर तिल रेवडी उसमें डाल कर बुराई को खत्म करने का संकल्प भी लिया जाता है । जितनी बुराईयां हैं वो अग्नि में जलकर भस्म हो जाती हैं और नई ऊर्जा और उत्साह मन-मस्तिष्क में भर जाती है । आल्स्य का त्याग और स्फ़ूर्ति प्रदान करने वाला यह त्योहार बडे उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है ।
आज कौन सा दिन है ? आज है - लोहडी का दिन - पंजाब का सुप्रसिध त्योहार । यह त्योहार मुख्य रूप से पंजाब में बडी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है । इस दिन लोग रेवडी , तिल के लड्डु , मुंगफ़ली , गुड और खूब सारी मिठाईयां खाते है और बांटते भी हैं । मुंह में पानी भर आया । चलो मैं आपको घुमाने ले चलती हूं पंजाब में जहां पर आज यह त्योहार मनाया जा रहा है , और आप भी मेरे साथ खूब सारे तिल के ल्ड्डु और रेवडी खाना । पर उससे पहले यह तो पता लगाएं कि यह त्योहार मनाया क्यों जाता है ।
1.दिन को लोग अपने नायक को याद करते हुए मनाते हैं और वो नायक पता है कौन था- एक डाकु । हैरान मत होना , वो एक डाकु ही था लेकिन बहुत ही विचित्र डाकु था , जिसे गरीबों का मसीहा माना जाता था और उसका नाम था - दूला भट्टी । दूला भट्टी अमीरो का खजाना लूटता और गरीबों में बांट देता , इस तरह वह गरीबों का हीरो कहलाता । एक बार उसने किसी अपहरण्कर्ता से दो लडकियों सुन्दरी और मुन्दरी को छुडवाया था और फ़िर उनका विवाह भी किया और जिस तरह एक पिता अपनी पुत्रियों को विदाई देता है वैसे ही उसने उनको सम्मान सहित अपने घर से विदा किया और उपहार स्वरूप उनको दे थी - एक सेर (किलो) शक्कर । तभी से लोग उस की याद में यह दिन मनाने लगे और इस दिन युवा लडके घर-घर जाकर लोहडी मांगते हुए गीत गाते हैं-
सुन्दर मुन्द्रिए ---हो
तेरा कौन विचारा---हो
दुल्ला भट्टी वाला------हो
दुल्ले धी व्याही-------हो
सेर शक्कर पाई------हो
कुडी दा सालु पाटा------हो
कुडी दा जीवे चाचा ----हो
इस तरह गीत गाते हुए वह पूरे गांव से लकडी , गाय के गोबर की पाथी ----आदि इक्कठा करके रात को जला कर लोहडी का त्योहार मनाते हैं ।
२. लोहडी का त्योहार सूर्य और अग्नि देव की पूजा करते हुए मनाया जाता है । पूस मास में क्योंकि ठण्डी बहुत होती है और सर्दी को भगाने के लिए अग्नि जला कर सूर्य देवता को तपिश देने की प्रार्थना की जाती है । अग्नि से क्योंकि ठण्डॆ मौसम मे राहत मिलती है तो लोग आग जलाकर मिठाईयां , रेवडियां , तिल आदि खाते हुए इसका खूब आनन्द लेते हैं ।
३. प्यारे बच्चो आपने अपनी बुक्स में पढा होगा कि प्राचीन काल में लोग अग्नि की पूजा करते थे तो लोहडी के त्योहार को उसके साथ भी जोडा जाता है । प्राचीन युग में लोग जंगलों में रहकर मांस खाकर गुजारा करते थे । पहले वह कच्चा मांस ही खाते थे लेकिन आग की खोज के बाद वह मांस को भून कर खाने लगे , इसके लिए युवा लडके-लडकियां जंगल में जाकर लकडियां चुनकर लाते थे और उसी तरह आज भी गांवों में युवा लडके-लडकियां घर-घर जाकर लोहडी मांग कर लकडियां मांग कर लाते हैं और रात को उन्हीं लकडियों से लोहडी जलाई जाती है ।
४. बच्चो इस दिन लोहडी जलाकर तिल रेवडी उसमें डाल कर बुराई को खत्म करने का संकल्प भी लिया जाता है । जितनी बुराईयां हैं वो अग्नि में जलकर भस्म हो जाती हैं और नई ऊर्जा और उत्साह मन-मस्तिष्क में भर जाती है । आल्स्य का त्याग और स्फ़ूर्ति प्रदान करने वाला यह त्योहार बडे उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है ।
यह त्योहार देश के अन्य राज्यों जैसे तामिलनाडु में पोंगल , असाम में बिहु आंध्रा-प्रदेश में भोगी --आदि नाम से मनाया जाता है ।
यह फ़सलों की पकाई की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है ।
लेकिन समय के साथ-साथ आज इसको मनाए का तरीका बदल गया है । आज यह त्योहार फ़िल्मीं गानों की तरज़ पर नाचते गाते हुए मनाया जाता है । तो चलो हम भी अपने अंदाज में मनाएंगे और गुनगुनाएंगे ।
लोहडी आई लोहडी आई
तिल रेवडी साथ में लाई
ठण्डी दूर भगाएंगे
नई ऊर्जा पाएंगे
घर-घर जाकर
लकडियां लाकर
रखदें सब कुछ
चौराहे पर
शोर मचाते , गाना गाते
हाथ पकड कर सबको नचाते
लोहडी खूब जलाएंगे
मिलकर मौज मनाएंगे
चलो अब हम भी तिल के लड्डू और रेवडियां खाते हैं और लोहडी की आप सबको ढेर सारी शुभ-कामनाएं ।
आपकी
सीमा सचदेव
यह फ़सलों की पकाई की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है ।
लेकिन समय के साथ-साथ आज इसको मनाए का तरीका बदल गया है । आज यह त्योहार फ़िल्मीं गानों की तरज़ पर नाचते गाते हुए मनाया जाता है । तो चलो हम भी अपने अंदाज में मनाएंगे और गुनगुनाएंगे ।
लोहडी आई लोहडी आई
तिल रेवडी साथ में लाई
ठण्डी दूर भगाएंगे
नई ऊर्जा पाएंगे
घर-घर जाकर
लकडियां लाकर
रखदें सब कुछ
चौराहे पर
शोर मचाते , गाना गाते
हाथ पकड कर सबको नचाते
लोहडी खूब जलाएंगे
मिलकर मौज मनाएंगे
चलो अब हम भी तिल के लड्डू और रेवडियां खाते हैं और लोहडी की आप सबको ढेर सारी शुभ-कामनाएं ।
आपकी
सीमा सचदेव
बहुत सुन्दर आपको व नन्हाँ मन परिवार को लोहडी की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसीमा जी,
जवाब देंहटाएंहमारे साथ-साथ सारे बच्चे भी आपके आभारी रहेंगे!
आपने बहुत उपयोगी जानकारी दी है!
ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती, रंग-रँगीली शुभकामनाएँ!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संपादक : "सरस पायस"
bahut acche hum saare bacchhe..
जवाब देंहटाएंmanaye lohri parab,
rahen hil-mil, taare jaise sachhe.
manaye sare parab
---aapp sabhi ko लोहिड़ी पर्व और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाये
बहुत उपयोगी जानकारी!
जवाब देंहटाएंलोहिड़ी पर्व और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ!