मैं हूँ तेरे मन का कोना
जिसे चाहिए सपना सलोना
नीला आकाश, उड़ते पंछी
चंदामामा , चर्खेवाली नानी
हरे भरे जंगल
चकवा चकिया , आंगन का घेरा
बहुत थका है ये मन का कोना
वक़्त नहीं देते जो अपने
ना देते हैं कोई सपना
सबकुछ नकली हो चला है
मम्मा ,पापा रोबोट लगते
आया मम्मा बनकर आती
एक अकेला कोना
मैं खुद से बातें करता हूँ
जो चाहते हो मुझको पाना
लौटा दो मेरा सपना सलोना
तुमने जिया जी भरके बचपन
की है मासूम मनमानी
मैं हूँ तेरे मन का कोना
मुझे दे दो मेरा सपना सलोना
पापा,मम्मा, नाना, नानी
दादा, दादी की चटपटी कहानी
जो बचपन तुमने गुजारा
वही मुझे उपहार में दे दो
मेरे सारे सपने दे दो
जो चाहते हो मुझको पाना
जवाब देंहटाएंलौटा दो मेरा सपना सलोना
baal-man ki vedana ko aapne itani sanjeedagi se shabdon me piroyaa hai ki badon ko sochane aur bachchon ko rone par majboor kar de . yah vaastav men aajki ek bhayaanak samasyaa hai jisamen bachchon kaa bachapan aur unake n jaane kitane nanhen-munne sapne mit rahe hain . likhate-likhate meri aankhen bhar aaii to un masoom bachchon kaa kyaa jo roj n jaane kitani hi apni bholi si aashaaon ki bali dete hai.
shukriyaa seema ji
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