कम्प्युटर का युग है आया,
बड़े बड़े बदलाव है लाया,
इसने तो बदली है दुनिया,
अपना रंग है खूब जमाया।
नाना नानी दादा दादी,
को अपनों से दूर भगाया,
परी लोक और परी कथाओं,
से बच्चों को दूर भगाया।
पहले जहां होता था
किताबों का कलेक्शन,
वहां पर अब हरदम रहता,
देखो नेट का कनेक्शन।
अब तो आंखें घूमा करतीं,
कम्प्यूटर मोबाइल पर,
कौन सा कार्टून कहां है आया,
किस चैनल किस टाइम पर।
हर दिशा के ज्ञान का होना,
पंख फ़ैलाओ नीले नभ पर,
पर जमीन से जुड़े ही रहना।
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वाह पूनम जी, बेहतरीन रचा और संदेश भी दे दिया.
जवाब देंहटाएंपूनम जी आपकी इतनी प्यारी सी रचना के लिए किन शब्दों में तारीफ़ की जाए , आप बालमन में कितनी आसानी से कितने गहरे उतर जाती हैं , आपकी पहली रचना टाल-मटोल अभी तक दिमाग में घूमती है । नन्हे-मुन्ने बच्चों को आपसे शिकायत है कि आपका आना कभी कभी ही होता है , लेकिन जब भी होता है मजेदार होता है । आधुनिक तकनीक की जानकारी के साथ-साथ सुन्दर संदेश देती आपकी रचना बहुत मजेदार है । धन्यवाद....सीमा सचदेव
जवाब देंहटाएंबहुत सरल और अच्छी कविता लगी........."
जवाब देंहटाएंamitraghat.blogspot.com