अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो
आसमान में बादल सौ ।
सौ बादल हैं प्यारे
रंग हैं जिनके न्यारे ।
हर बादल की भेड़ें सौ
हर भेड़ के रंग हैं दो ।
भेड़ें दौड़ लगाती हैं
नहीं पकड़ में आती हैं ।
बादल थककर चूर हुआ
रोने को मज़बूर हुआ ।
आँसू धरती पर आए
नन्हें पौधे हरषाए ।
पढ़ने वाले भैय्या, अँकल जी और आँटी जी,
nanhaman@gmail.com
पर
मेरे लिये कुछ लिख भेजिये, ना ..प्लीज़ !
akkad-bakkad bambe bo,
जवाब देंहटाएंrameshvar ji ki jai-jai ho.
sundar..pyaree baal kavitaa. yadgaar bhi rahegee. badhai..
उत्कृष्ट भावमय कविता है ,लेकिन चित्र भी कविता के अनुसार होता .
जवाब देंहटाएंचित्र में भेड़ होती तो बच्चों को कविता ज्यादा आकर्षित लगेगी .
बहुत अच्छी रिदेमिक कविता............."
जवाब देंहटाएंbahut achhi kavita hai
जवाब देंहटाएं,bal man ke liye,or hamare liye bhi ,esi rachnaye pad ker bachapan yaad aa jata hai