देश का प्रेम भरा हो जिसमें
देश-भक्त कहलाता है ,
जो भावों से भरा हुआ हो
देश भक्ति लिख पाता है ।
अपनी मां अपनी मिट्टी से
जिसका गहरा नाता हो
बलिदानी वीरों सम्मुख
जो नत-मस्तक हो जाता हो
अपने वतन लिए अपने
लिख-लिख कर भाव बहाता हो
कुर्बानी सुन-सुन जिसके
नयनों से गंगा बह जाए
अपनी मिट्टी की खुशबू से
जो जन दूर न रह पाए
जिसकी कलम वीर-गाथा में
स्वयंमेव लिखती जाए
पढ-सुनकर जिसको ह्रदय
भी भाव-विह्वल हो जाता है
वही सच्चा मां का सेवक
सच में सपूत कहलाता है
नन्हा मन
बच्चों, बहुत खोजबीन के बाद, अचपन जी ने नन्हा मन पर उड़न तश्तरी उतारने में सफलता पाई ! देखा ? तो.. सी-बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया दो !
16 जून 2010
सच्चा सपूत - baal-kavita
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सचमुच विचारणीय
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है.
जवाब देंहटाएं"बहुत सुन्दर ..."
जवाब देंहटाएंsundar prerana deti hai yah kavita..badhai.
जवाब देंहटाएंSeema ji,
जवाब देंहटाएंBehatreen baal kavita---jo manoranjak bhee hai aur sandeshparak bhee.
bahut bura laga mujhko
जवाब देंहटाएंaienda se muhhe ye stupid poems mat dikhana
pagalo
.
जवाब देंहटाएंबेनामी अँकल...
क्या आपका नाम रखने से पहले ही आपके माता-पिता बाढ़ में बह गये थे ?
भगवान जी उनकी आत्मा को शान्ति दें ।
हमें भी बहुत बुरा लगा कि.. आप बिना नाम के ही घूम रहें हैं और आपको हिन्दी भी नहीं आती.. आप कभी स्कूल भी नहीं गये, अँकल ?
मेरे कुत्ते का नाम टॉमी है.. अँकल, आप भी किसी से अपना कुछ भी नाम रखवा लीजिये ना, प्लीज़ ।
बेनामी अंकल हम पागल हैं - अपने देश के लिए , अपनी भाषा के लिए और हमें खुशी है कि देश-भक्ति के जज्बे से भरपूर पागलों की श्रेणी में आपने हमें शामिल किया । कम से कम हम अपना नाम तो गर्व से बता सकते हैं , आप न जाने किस पंक्ति में खडे हैं , निश्चय ही हमारी विरोधी पन्क्ति में हैं और आपके लिए कितनी लज्जा की बात है कि अपना नाम भी नहीं ले सकते क्योंकि अपना नाम लेंगे तो सर पर जूते बरसेंगे और जैसा कि अमर जी नें कहा आपके माता-पिता बाढ में बह गए ( ये उनकी दरियादिली है ) , आपके लिए चुल्लु भर पानी ही काफ़ी होगा । अपनी पहचान बताईए , आप जैसे सपोलिए की बिल में पानी डाल कर कैसे बाहर निकालना है , स्वयं जान जाएंगे । लेकिन हम जानते हैं आप ऐसा करेंगे नहीं क्योंकि आप बिन मां-बाप की हे नहीं बुजदिल की औलाद भी हैं ।
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