इतिहास गा रहा है, दिन रात गुण हमारा ।
दुनिया के लोग सुन लो, यह देश है हमारा ॥
इस पर जनम लिया है, इसी का पिया है पानी ।
माता है यह हमारी और पिता भी है हमारा ॥
बीते समय से पूछो, इसका हमारा नाता ।
हिन्दुस्तान है कहलाता यह रामराज्य हमारा ॥
झेलम तू ही बता दे, पुरू-वीर का वह पौरूष ।
यूनान का सिकन्दर, था तेरे तट पर हारा ॥
चित्तौड़ तू ही कह दे, क्षत्राणियों का जौहर ।
पद्मिनी की भस्म में है, गौरव छिपा हमारा ॥
जँगल में बसेरा और घास का था खाना ।
शेरों न भूल जाना, चमकता प्रताप हमारा ॥
था जब अँधेरा छाया, जो नव प्रकाश लाया ।
भूषण ने जिसको गाया, शिवराज वह हमारा ॥
होगा भविष्य उज़्ज़वल, फिर से उसी तरह का ।
बतला रहा है हमको, इतिहास यह जो हमारा ॥
डॉक्टर साहेब को प्रणाम..बहुत प्यारी रचना!
जवाब देंहटाएंbhavmayee kavyanjali. divya vibhooti ko pranam aur uska gauravgaan karne vale ko nmn.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी मेरे मेल इनबॉक्स से....
नमस्कार डा. अमर ,
कल से प्रयास कर रही हूं ,नन्हामन देख तो पा रही हूं लेकिन कोई टिप्पणी या फ़िर आगे कहीं भी लिंक नहीं कर पा रही हूं शायद कुछ तकनीकी खराबी के कारण , सोचा आपको मेल ही कर दूं । क्षमा चाहती हूं ।
टिप्पणी - देश-भक्ति की भावना से ओत-प्रोत इस काव्य-गीत ने कितने बलिदानों और बलिदानियों की याद दिला दी । इस गीत नें तो इतना भाव-विभोर कर दिया कि कैसे कविता पे कविता लिखी गई , पता ही नहीं चला । आपकी कविता पे ही यह कविता लिखी गई तो टिप्पणी में ही आपको समर्पित करती हूं ।
देश का प्रेम भरा हो जिसमें
देश-भक्त कहलाता है ,
जो भावों से भरा हुआ हो
देश भक्ति लिख पाता है ।
अपनी मां अपनी मिट्टी से
जिसका गहरा नाता हो
बलिदानी वीरों सम्मुख
जो नत-मस्तक हो जाता हो
अपने वतन लिए अपने
लिख-लिख कर भाव बहाता हो
कुर्बानी सुन-सुन जिसके
नयनों से गंगा बह जाए
अपनी मिट्टी की खुशबू से
जो जन दूर न रह पाए
जिसकी कलम वीर-गाथा में
स्वयंमेव लिखती जाए
पढ-सुनकर जिसको ह्रदय
भी भाव-विह्वल हो जाता है
वही सच्चा मां का सेवक
सच में सपूत कहलाता है
सीमा सचदेव
सचमुच शानदार
हटाएं