नमस्कार बच्चो ,
आपको याद होगा मैं आपके लिए लाई थी बाल-उपन्यास चूचू और चिण्टी , उसका अगला भाग यहां पढ़िए -
चूचू और चिण्टी ( बाल-उपन्यास भाग-1)
चूचू और चिण्टी ( बाल-उपन्यास भाग-2)
चूचू और चिण्टी ( बाल-उपन्यास भाग-3)
चूचू और चिण्टी ( बाल-उपन्यास भाग-4)
माता-पिता भी आ गए त
सोचा छूटे इनका संग
तब ही दोनों समझ पाएंगे
जब न साथ ये रह पाएंगे
जब न दोनों साथ रहेंगे
कैसे इक दूजे से लडेंगे
देने को दोनों को अक्ल
भेज दिया चिण्टी को होस्टल
रह गया चूचू अब अकेला
पर न वह किसी संग खेला
बात न करता किसी से खास
चिंटी रहने लगी उदास
किसी से वह भी न बतियाती
मन ही मन बहुत पछ्ताती
चिंटु भी मन में पछताया
दोषी स्वयं को ही बस पाया
आया वह चिंटी के घर
कहने लगा चूचू रोकर
अब न कभी चिंटी से लडुंगा
जो बोलोगे वही करुंगा
पर चिंटी को वापिस बुलाओ
वहां न उसकी कोई सहेली
चिंटी को भी समझ में आई
चूचू के घर चिट्ठी पाई
माफ़ करो मेरी नादानी
मैं ही सबको न पहचानी
अब मुझको हुआ अहसास
अपने होते कितने खास
अब न चूचू संग लडुंगी
आपको याद होगा मैं आपके लिए लाई थी बाल-उपन्यास चूचू और चिण्टी , उसका अगला भाग यहां पढ़िए -
चूचू और चिण्टी ( बाल-उपन्यास भाग-1)
चूचू और चिण्टी ( बाल-उपन्यास भाग-2)
चूचू और चिण्टी ( बाल-उपन्यास भाग-3)
चूचू और चिण्टी ( बाल-उपन्यास भाग-4)
माता-पिता भी आ गए त
सोचा छूटे इनका संग
तब ही दोनों समझ पाएंगे
जब न साथ ये रह पाएंगे
जब न दोनों साथ रहेंगे
कैसे इक दूजे से लडेंगे
देने को दोनों को अक्ल
भेज दिया चिण्टी को होस्टल
रह गया चूचू अब अकेला
पर न वह किसी संग खेला
बात न करता किसी से खास
चिंटी रहने लगी उदास
किसी से वह भी न बतियाती
मन ही मन बहुत पछ्ताती
चिंटु भी मन में पछताया
दोषी स्वयं को ही बस पाया
आया वह चिंटी के घर
कहने लगा चूचू रोकर
अब न कभी चिंटी से लडुंगा
जो बोलोगे वही करुंगा
पर चिंटी को वापिस बुलाओ
या मुझे होस्टल में भिजवाओ
कैसे रहेगी चिंटी अकेलीवहां न उसकी कोई सहेली
चिंटी को भी समझ में आई
चूचू के घर चिट्ठी पाई
माफ़ करो मेरी नादानी
मैं ही सबको न पहचानी
अब मुझको हुआ अहसास
अपने होते कितने खास
अब न चूचू संग लडुंगी
जो कहोगे वही करुंगी ।
उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
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