तो वहाँ मेरी मुलाकात इस नन्ही सुरीली से हुई,
जो सपनों में खोई हुई मीठे-मीठे गीत सुन रही थी!
मेरा मन भी उसके नन्हे मन के लिए
कुछ गीत रचने की कोशिश करने लगा!
आप भी इनको पढ़कर गुनगुन के साथ
गुनगुनाने का मज़ा ले सकते हैं!
सपनों में खोई रूपाली!
लगती है : ख़ुशियों की डाली!
लगती है : ख़ुशियों की डाली!
रंगों के धागों से बुनकर,
किसने यह ख़रगोश बनाया?
सपनों के आँचल पर धरकर,
किसने यह ख़रगोश सजाया?
किसने यह ख़रगोश बनाया?
सपनों के आँचल पर धरकर,
किसने यह ख़रगोश सजाया?
बिल्कुल हो गुड़ियों की रानी!
सुनो, सुनाऊँ तुम्हें कहानी!
सुनो, सुनाऊँ तुम्हें कहानी!
गुनगुन आई, सावन आया!
सावन में झूला डलवाया!
जब झूले में झूली गुनगुन,
झूला मेरे मन को भाया!
सावन में झूला डलवाया!
जब झूले में झूली गुनगुन,
झूला मेरे मन को भाया!
(सभी फ़ोटो व चित्र चुलबुल के ब्लॉग से साभार)
बहुत सुन्दर कविता और चित्र भी बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंचुलबुल को बधाई!
जवाब देंहटाएंचित्र और कविता बेहद ख़ूबसूरत है! चुलबुल को बहुत बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंwell composed
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