इक दिन बोली गुडिया रानी
नानी , क्या होती कहानी ?
नानी बोली बेटा कहती ,
थी मुझे मेरी नानी
पात्र थे उसके परी, राक्षस
और कभी राजा - रानी
पप्पू , गुडिया , चीनू-मीनू
आते थे सब मिलकर
हँसते , गाते और खेलते
नानी के बिस्तर पर
छड़ी पकडकर नानी आती
सब बच्चो को गोद बैठाती
और कहानी एक सुनाती
सबके बालों को सहलाती
सुनते-सुनते हम सो जाते
मीठे सपनों में खो जाते
वो बातें थी कितनी सुहानी
जब घर पर आती थी नानी
गुडिया बोली मुँह बिचकाकर
क्या ये बातें पुरानी
अब न लगती हमें सुहानी
परी भूत राजा रानी
बिन कंप्यूटर आधा जीवन
घर में न लगता है मन
फेसबुक जैसी खुली किताब
चाहो जब भी कोई जवाब
झट से गूगल खोज निकाले
दोस्त , मित्र चाहे घर वाले
घर बैठे ही करलो बात
चाहे दिन हो चाहे रात
खेलो घर बैठे ही खेल
पलों मे कर सकते हो मेल
जिसको चाहो दोस्त बनाओ
अपनी बातों से भरमाओ
कार्टून देखके मन बहलाओ
देश विदेश की खबरें पाओ
नानी सुन गुडिया की बात
बोली , हम उठकर प्रभात
माता पिता को कर प्रणाम
जपते थे प्रभु का नाम
मिलकर हम खेलते थे खेल
लंबी एक बनाते रेल
रेत के कभी बनाते घर
थप थपाकर पैरों पर
कंचे , गीटे , गिल्ली ड्ण्डा
कभी गाडते अपना झंडा
गुडिया का कभी ब्याह रचाते
झूले कभी पेड़ों पे बनाते
बात काट कर गुडिया बोली
क्या नानी ये बातें भोली
तुम थे सब दिन भर आज़ाद
करते थे समय बर्बाद
देखो हम व्यस्त हैं ऐसे
बात करें दूसरों संग कैसे ?
सुबह-सुबह ही स्कूल को जाएँ
शाम को थककर वापिस आएँ
एक्टिविटी क्लास में जाएँ
गृह कार्य आकर निपटाएँ
खेलने का भी समय न पाएँ
टी. वी. देखें और सो जाएँ
जब भी हम कोई खेलें खेल
पिछड़े हर दुनिया की रेल
टैम्पल रन में कोआएन जुटाएँ
एन्गरी बर्ड्स में मार गिराएं
नानी सुन हुई हैरान
बोली , जाऊं तुझपे कुर्बान
तू तो है मेरी भी नानी
तू ही सुना दे मुझे कहानी..............
बेशक कंप्यूटर युग में नानी की कहानी पुरानी लगती हो पर बच्चों के मन के कोमल भावों को जगाने में कामयाब होती थी परियों की कहानी ...मशीनों के बीच मशीन होते भाव पता नहीं कैसा भविष्य देंगे
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बाल कविता
जवाब देंहटाएंक्या कहने