बाल गीत:
लंगडी खेलें.....
आचार्य संजीव 'सलिल'
*
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
एक पैर लें
जमा जमीं पर।
रखें दूसरा
थोडा ऊपर।
बना संतुलन
निज शरीर का-
आउट कर दें
तुमको छूकर।
एक दिशा में
तुम्हें धकेलें।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
आगे जो भी
दौड़ लगाये।
कोशिश यही
हाथ वह आये।
बचकर दूर न
जाने पाए-
चाहे कितना
भी भरमाये।
हम भी चुप रह
करें झमेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
हा-हा-हैया,
ता-ता-थैया।
छू राधा को
किशन कन्हैया।
गिरें धूल में,
रो-उठ-हँसकर,
भूलें- झींकेगी
फिर मैया।
हर पल 'सलिल'
ख़ुशी के मेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*************
लंगडी खेलें.....
आचार्य संजीव 'सलिल'
*
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
एक पैर लें
जमा जमीं पर।
रखें दूसरा
थोडा ऊपर।
बना संतुलन
निज शरीर का-
आउट कर दें
तुमको छूकर।
एक दिशा में
तुम्हें धकेलें।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
आगे जो भी
दौड़ लगाये।
कोशिश यही
हाथ वह आये।
बचकर दूर न
जाने पाए-
चाहे कितना
भी भरमाये।
हम भी चुप रह
करें झमेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*
हा-हा-हैया,
ता-ता-थैया।
छू राधा को
किशन कन्हैया।
गिरें धूल में,
रो-उठ-हँसकर,
भूलें- झींकेगी
फिर मैया।
हर पल 'सलिल'
ख़ुशी के मेले।
आओ! हम मिल
लंगडी खेलें.....
*************
बहुत ही सुंदर बालगीत .....
जवाब देंहटाएंमजेदार गीत...
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंबाल सुलभ क्रीडा का कविता के रूप में सुंदर चित्रण ,कविताई में भावो के चित्रण में गजब की लय,सुंदर प्रयास, शुभकामनये बहुत बहुत साधुवाद
जवाब देंहटाएं. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना
मेरे अपने
खुशबू
प्रेमविरह
बहुत सुंदर। लंगडी का पूरा खेल साकार कर दिया।
जवाब देंहटाएंBahut Achhi Rachna Ka Varnan Aapke Dwara. Padhe Love Stories, Hindi Poems, प्यार की स्टोरी हिंदी में aur bhi bahut kuch.
जवाब देंहटाएंThank You.
आचार्य संजीव जी आपका यह बाल गीत "आओ लंगड़ी खेलें" बहुत ही रोचक व दिलचस्प रचना है....आपने अपनी इस रचना के माध्यम से लंगड़ी जो की एक बच्चों का खेल हैं...उसके सारे नियम भी आपने बता डाले...आपकी इस रचना के लिए बधाई....ऐसी ही रचना आप शब्दनगरी पर प्रकाशित कर सकतें हैं....
जवाब देंहटाएं