
नन्हे-मुन्ने प्यारे-प्यारे
सारी दुनिया से है न्यारे
फूल से सुन्दर कोमल-कोमल
नहीं मैल कोई इनके अन्दर
प्यार से ये सबके हो जाएँ
स्वयं हँसे और सबको हँसाएँ
इनसे ही महके घर-द्वार
सुन्दर सपनों का संसार
लगते कितने भोले-भाले
होते हैं सच्चे दिल वाले
बसता है इनमें भगवान

मासूमियत इनकी पहचान
नहीं किसी से बैर का भाव
नहीं किसी को देते घाव
न कोई चिन्ता न फिक्र
न ही कुछ खोने का डर
साफ स्वच्छ होता है मन
कितना प्यारा है यह बचपन
कितना प्यारा होत है ये बचपन. बहुत बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना है।फोटों भी बहुत सुन्दर हैं।पढ कर अपना बचपन याद आ गया।धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंकविता और चित्र दोनों ही सुन्दर । परस्पर पूरक ।
जवाब देंहटाएंन कोई चिन्ता न फिक्र
जवाब देंहटाएंन ही कुछ खोने का डर
साफ स्वच्छ होता है मन
कितना प्यारा है यह बचपन
काश !फिर से लौटकर आ जाता यह बचपन।
seemaji,
जवाब देंहटाएंvery nice poem i like these lines
प्यार से ये सबके हो जाएँ
स्वयं हँसे और सबको हँसाएँ
इनसे ही महके घर-द्वार
सुन्दर सपनों का संसार
bahut hi khoobsurat
bachpan ko salam
with regards
amitabh
बहुत सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंफलेगा फूलेगा बचपन
इन्हे पिलाओ मुंगली घुटटी 555
आहा मिथी मिथी