कैसे हैं आप सब लोग ? आपको मैने पहले कुछ हितोपदेश की कहानियां सुनाई
आज भी सुनो एक और कहानी लेकिन बिल्कुल नए रूप मे इस कहानी पर आपके
प्यारे अंकल मनु बे-तखल्लुस जी ने कार्टून भी बनाए हैं कार्टून के साथ तो कहानी का मजा ही
कुछ और होता है बताना जरूर आपको मनु अंकल के बनाए चित्र और कहानी कैसे लगे ?
दोस्ती मगर सोच समझ कर
एक बार इक मृग और कौआ
पक्के मित्र थे दोनों भैया
दोनों ही मिलजुल कर रहते
सुख-दुख इक दूजे से कहते
एक बार वहाँ भेड़िया आया
मृग को देख के वो ललचाया
दिखने में है कितना प्यारा
खाकर इसको आए नजारा
सोचा उसने एक उपाय
क्यों न उसको दोस्त बनाए
पहले जाए उसके पास
बनाए पूरा ही विश्वास
फिर जब कोई मौका पाए
तो धोखे से उसको खाए
सोच के गया वो मृग के पास
बँधाने लगा उसे विश्वास
मीठी बातों से रिझाने
लगा वो मृग को अपना बनाने
बोला यहाँ पे मैं अकेला
न कोई गुरु न कोई चेला
नहीं मेरा कोई परिवार
छूट गया सारा घर-बार
कोई न करे मेरे संग बात
रहता हूँ चुपचाप दिन-रात
न मेरे कोई पास में आता
न कोई सुख-दुख बँटाता
बोलो यूँ कब तक रह जाऊँ
अकेले कैसे जीवन बिताऊँ
सोचा तुमको दोस्त बनाऊँ
हो सके तो कुछ काम भी आऊँ
जो हो मैत्री स्वीकार
बाँटेगे हम मिलकर प्यार
मृग उसकी बातों में आया
उसको अपना दोस्त बनाया
इतने में कौआ वहाँ आया
भेड़िये को मृग के घर पाया
पूछा मृग से उसका नाम
आया वो यहाँ किस काम
मृग ने भेड़िए से मिलवाया
और आने का कारण बताया
लुट गई इसकी दुनिया सारी
करना चाहता है मुझसे यारी
समझ गया सब कौआ स्याना
डाल रहा यह मृग को दाना
जैसे ही इसको मिलेगा मौका
मृग को यह दे देगा धोखा
मृग से फिर यूँ बोला कौआ
सुनो ध्यान से बात यह भैया
भेड़िया कितना ताकतवर
बिन मतलब न जाए किसी दर
नहीं जानो तुम इसके बारे
दोस्ती न करना बिना विचारे
उस पे न करना एतबार
जिसका न जानो घर-बार
भागा वहाँ से भेड़िया सुनकर
समझा मृग यह सब अब जाकर
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बच्चो समझना बातें सारी
सोच समझ कर करना यारी
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इन लाजवाब चित्रों के लिए मनु जी को हार्दिक धन्यवाद......सीमा सचदेव
चित्रकार- मनु बे-तखल्लुस
दोस्ती मगर सोच समझ कर
एक बार इक मृग और कौआ
पक्के मित्र थे दोनों भैया
दोनों ही मिलजुल कर रहते
सुख-दुख इक दूजे से कहते
एक बार वहाँ भेड़िया आया
मृग को देख के वो ललचाया
दिखने में है कितना प्यारा
खाकर इसको आए नजारा
सोचा उसने एक उपाय
क्यों न उसको दोस्त बनाए
पहले जाए उसके पास
बनाए पूरा ही विश्वास
फिर जब कोई मौका पाए
तो धोखे से उसको खाए
सोच के गया वो मृग के पास
बँधाने लगा उसे विश्वास
मीठी बातों से रिझाने
लगा वो मृग को अपना बनाने
बोला यहाँ पे मैं अकेला
न कोई गुरु न कोई चेला
नहीं मेरा कोई परिवार
छूट गया सारा घर-बार
कोई न करे मेरे संग बात
रहता हूँ चुपचाप दिन-रात
न मेरे कोई पास में आता
न कोई सुख-दुख बँटाता
बोलो यूँ कब तक रह जाऊँ
अकेले कैसे जीवन बिताऊँ
सोचा तुमको दोस्त बनाऊँ
हो सके तो कुछ काम भी आऊँ
जो हो मैत्री स्वीकार
बाँटेगे हम मिलकर प्यार
मृग उसकी बातों में आया
उसको अपना दोस्त बनाया
इतने में कौआ वहाँ आया
भेड़िये को मृग के घर पाया
पूछा मृग से उसका नाम
आया वो यहाँ किस काम
मृग ने भेड़िए से मिलवाया
और आने का कारण बताया
लुट गई इसकी दुनिया सारी
करना चाहता है मुझसे यारी
समझ गया सब कौआ स्याना
डाल रहा यह मृग को दाना
जैसे ही इसको मिलेगा मौका
मृग को यह दे देगा धोखा
मृग से फिर यूँ बोला कौआ
सुनो ध्यान से बात यह भैया
भेड़िया कितना ताकतवर
बिन मतलब न जाए किसी दर
नहीं जानो तुम इसके बारे
दोस्ती न करना बिना विचारे
उस पे न करना एतबार
जिसका न जानो घर-बार
भागा वहाँ से भेड़िया सुनकर
समझा मृग यह सब अब जाकर
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बच्चो समझना बातें सारी
सोच समझ कर करना यारी
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इन लाजवाब चित्रों के लिए मनु जी को हार्दिक धन्यवाद......सीमा सचदेव
चित्रकार- मनु बे-तखल्लुस
बच्चों को कविता के रूप में कहानी बहुत ही अच्छी लगती है....बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कहानी बड़ों और बच्चों ,सभी के काम आने वाली .
जवाब देंहटाएंऔर हितोपदेश की कहानियाँ भी छापें .