दुनिया से है न्यारी माँ

प्यार से सुबह जगाती है
मीठा दूध पिलाती है
पहना के मुझे सुन्दर कपडे
स्कूल छोड के आती है
अच्छे अच्छे खाने बनाती
अपने हाथ से मुझे खिलाती
रोज खेलती मेरे साथ
चलती मेरा पकड के हाथ
प्यार से मुझको गले लगाए
मीठी-मीठी लोरी सुनाए
पापा को जब गुस्सा आए
तो माँ आकर मुझे बचाए
कभी -कभी माँ जब छुप जाए
तो मुझे रोना आता है
माँ का इक पल भी न दिखना
मुझको जरा न भाता है
अच्छी टीचर मेरी माँ
मेरी दोस्त मेरी माँ
प्यारी प्यारी मेरी माँ
दुनिया से है न्यारी माँ
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सीमा जी ,
जवाब देंहटाएंमां तो आखिर मां ही होती है .वह बच्चों की पहली शिक्षक ,उसकी पालनकर्ता सभी कुछ है .मां के लिए बहुत अच्छी कविता प्रकाशित की है आपने .
आपके ब्लॉग पर आज पहली बार आया हूँ .आप बच्चों के लिए बहुत अच्छा काम कर रही हैं .मेरी शुभकामनायें .
हेमंत कुमार
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंनन्हे मन में समाकर
जवाब देंहटाएंरची गई कविता,
जो उसकी एक-एक बात को
सच्चे मन से कह रही है!