बंदर को मिली टोपी एक
टोपी में थे रंग अनेक
देख के मन ही मन मुस्काया
टोपी को सिर पर सजाया
पहन के टोपी बन गया राजा
लगा बजाने बंदर बाजा
बैठ गया जा पेड की डाल
लगा मिलाने सुर से ताल
देख के आईं बिल्लियां तीन
कैसे लें टोपी को छीन ?
रख दी थोडी दूर में रोटी
बंदर की हुई नियत खोटी
रोटी देख के टोपी भूला
बना लिया डाली को झूला
टोपी गिरी जमीं पर आकर
खुश बिल्लियां टोपी को पाकर
टोपी में रोटी को भूलाया
जा अब बिल्लियों पर गुर्राया
पर तीनों हो गईं छू-मंत्र
खडा देखता रह गया बंदर
पीछे से इक लोमडी आई
मजे से उसने रोटी खाई
न रोटी न टोपी पाई
बंदर को आई खूब रुलाई
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लिजिये, बंदर अब क्या करे!!
जवाब देंहटाएंwah !
जवाब देंहटाएंबहुत कुद्दू बंदर है!
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए मज़ेदार!
जो भी बच्चा इसे पढ़ेगा,
पक्की बात है कि
कूद-कूदकर ही पढ़ेगा!
अजी ये बँदर मामा बिना पाज़ामा इतना कूदेंगे, तो हिलते हुये लैपटाप से टिप्पणी तो निकल चुकीं ?
जवाब देंहटाएंजरा आप ही इनको हमारी खों खों बोल दें ! भूलियेगा नहीं !
मनु जी आपकी टिपण्णी के लिए धन्यवाद! आपको मेरी शायरी और साथ साथ पेंटिंग भी पसंद आई उसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और मज़ेदार कविता लिखा है आपने! सबसे मज़ेदार मुझे बन्दर का तस्वीर लगा जो कूदे ही जा रहा है! हर बच्चे को बहुत पसंद आयेगा और वो भी बन्दर के जैसा कूदने लगेगा! आपका ये ब्लॉग बहुत ही बढ़िया है ! मैं आपका कविता पड़कर अपने बचपन के सुनहरे दिनों को याद करती हूँ जो फिर कभी लौट कर नहीं आयेगी पर यादें तो संजोग करके रखा है!
क्या कूद रहे हैं जनाब....
जवाब देंहटाएंरोटी और टोपी ..
दोनों को गंवाकर,,,,,,,
रोचक
जवाब देंहटाएंThis jumping monkey seems very naughty and delightful. I like it very much.
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