बिन सोचे नहीं कीजिए , कटु वचन का वार
तो को तो कुछ शब्द हैं , वाकु पर प्रहार
वाकु पर प्रहार , चुभे ज्यों कोई शूल
चुभता है हर पल , फ़िर चाहे फ़ैंको फ़ूल
ऊपर से मुस्काएं , पर मन में तो खिन्न
खटकत हैं वो शब्द , कहे जो सोचे बिन ।
पढ़ने वाले भैय्या, अँकल जी और आँटी जी,
nanhaman@gmail.com
पर
मेरे लिये कुछ लिख भेजिये, ना ..प्लीज़ !
दी दी दीदी, ये तो बाहूत कठीन कवीता है !
जवाब देंहटाएंहमको आसान वाली समझ में आ जाती है ।
आप बड़ा लोग इसका मजा अकेला अकेला लेता है ।
आज की विचार तो हमारे लिए है...हमें इस पर चिंतन करना चाहिए...
जवाब देंहटाएंउत्तम विचार............सब के लिए........... चिंतन करना चाहिए
जवाब देंहटाएंबच्चों माँ की डांट सुन, लगता तुम्हें ख़राब.
जवाब देंहटाएंपकड़ न सकते हाथ में, कांटे लगा गुलाब..
दुखी न कोई दोस्त हो, बात न कड़वी बोल.
जब बोलो हँसकर कहो, बातों में रस घोल..
सीमा जी समझा रहीं, बहुत जरूरी बात.
धन्यवाद दो सब उन्हें, चलो मिलकर हाथ..