. फूल कभी नहीं तोडिए , इनमें ईश्वर वास
सौन्दर्य से मन मोहें , फैले मुग्ध सुबास
फैले मुग्ध सुबास , करें सबको आकर्षित
नाचे मन का मयूर ,शान्त हो जाए चित्त
तोडोगे जो फ़ूल , तो मिटेगा उसका मूल
शोभा वही देता , है जो डाली पर फ़ूल
सौन्दर्य से मन मोहें , फैले मुग्ध सुबास
फैले मुग्ध सुबास , करें सबको आकर्षित
नाचे मन का मयूर ,शान्त हो जाए चित्त
तोडोगे जो फ़ूल , तो मिटेगा उसका मूल
शोभा वही देता , है जो डाली पर फ़ूल
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फूल कभी मत तोड़िये, यह है कानूनन अपराध
जवाब देंहटाएंकांटे जब जितने भी चाहिये, ले जाओ इफरात...
ले जाओ इफरात कि ऐसा कहीं भी नहीं मना है
इनकी रक्षा की खातिर, कहाँ कोई कानून बना है
कहें समीर कि मेरे जहेन मे तो सिर्फ कांटें हैं,
फिर भी न जाने क्यूँ, लोग उँगलियाँ उठाते हैं.
-समीर लाल ’समीर’
इतनी अच्छी बात का भगवान के नाम से उल्लंघन करते हैं। मेरे सामने वाले पार्क में सुबह आठ तक कुछ ही फूल बचे रह जाते हैं।
जवाब देंहटाएंसजा फूल जो डाली पर,
जवाब देंहटाएंवह सच्ची शोभा पाता है!
वह ही देता सच्ची ख़ुशबू,
सच्चे मन को भाता है!
बालक हो या फूल, कभी भी नन्हा मन मत तोड़ो।
जवाब देंहटाएंदेखो, सूँघो खूब, सुमन से मन का नाता जोड़ो।।
शिशु को उसकी माता की, गोदी में ही रहने दो।
खिलने दो, मुस्काने दो, सर्दी-गर्मी को सहने दो।।
करो फूल से दोस्ती, तुमसे कहती दूब.
जवाब देंहटाएंनाच रहे हैं डाल पर, सुन्दर लगते खूब..
माँ से कभी न चाहते, ज्यों तुम होना दूर.
फूल कहें- 'मत तोड़कर, करो हमें मजबूर..
Vaah..........kitnaa sundar vichaar hai...lajawaab .... kash hum bade bhi ye baat samajh paate
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